इसरो ने अंतरिक्ष में अब तक की सबसे ऊंची उड़ान बुधवार को भरी. एक साथ 104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गए जो अपने-आप में रिकॉर्ड है. हालांकि, एक वक्त में भारत अपने सैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए विदेशी एजेंसियों की मदद लेता था. लेकिन अब इसरो दुनिया भर के लिए एक कामयाब लॉन्चर बन कर उभरा है. इसकी शुरुआत इतने कम खर्च में हुई थी. इसरो को साइकिल पर रॉकेट के पार्ट्स लाने पड़ते थे. ऐसे में आइए जानते हैं इसरो से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें...
PSLV दुनिया का सबसे भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल माना जाता है. 1993 से अब तक करीब 38 उड़ानों में भारतीय सैटेलाइट के अलावा 40 से अधिक विदेशी सैटेलाइट भी इसरो लॉन्च कर चुका है.
इसरो कम खर्च में काम करता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो का 40 साल का खर्च नासा के छह महीने के खर्च के बराबर है. इसरो के मार्स मिशन को भी सबसे सस्ता बताया जाता है.
भारत में सैटेलाइट्स की कमर्शियल लॉन्चिंग दुनिया में सबसे सस्ती पड़ती है. अमेरिका, चीन और यूरोप की तुलना में भारत में खर्च 66 गुना सस्ता होता है. PSLV से लॉन्च का खर्च 100 करोड़ रुपए है, जबकि अमेरिका के एटलस-5 से खर्च 6692 करोड़ रुपये है.
ग्लोबल सैटेलाइट मार्केट में भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है. अभी यह इंडस्ट्री 13 लाख करोड़ रुपए की है. फिलहाल अमेरिका की हिस्सेदारी 41% और भारत की हिस्सेदारी 4% से भी कम है.
विदेशी सैटेलाइट की लॉन्चिंग इसरो की कंपनी एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड के जरिए होती है. 1992 से 2014 के बीच एंट्रिक्स कॉरपोरेशन को 4408 करोड़ रुपए की कमाई हुई.
एसएलवी-3 भारत का पहला स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल था. इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे.
भारत में इसरो के विभिन्न शहरों में 13 सेंटर हैं. इसरो का फेसबुक पेज भी है. यहां इसरो से जुड़ी जानकारी लगातार अपडेट की जाती है. पेज के करीब 13 लाख फॉलोअर्स हैं.