एक सवाल बार-बार उठता है कि क्या हम जाति और धर्म की सियासत में ही उलझे रहेंगे? जाति और धर्म के आधार पर वोट मिलने के बावजूद यह सवाल बना रहता है कि क्या जाति के आधार पर ही तय होगा कि कौन क्या करेगा.