सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की राह में आ रही बाधाएं दूर कर दी हैं. गोदरेज एंड बॉयस की बॉन्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के कोर्ट आदेश के बाद अब इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर तेज रफ्तार से सामान्य कामकाज आगे बढ़ सकेगा. वैसे ही देरी की वजह से परियोजना का खर्च बेतहाशा बढ़ चुका है. कोर्ट ने गोदरेज से कहा कि अब तो काफी पानी बह चुका है. आप जिम्मेदार कंपनी की तरह बरताव कीजिए.
गोदरेज एंड बॉयस ने मुआवजे की कम दर और भुगतान की रकम को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदी वाला ने सुनवाई की.
गोदरेज के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम बस ये कह रहे हैं कि प्रोजेक्ट में प्लॉट ए की बजाय बी ले लें. हम जमीन अधिग्रहण से मना नहीं कर रहे. सरकार 572 करोड़ दे रही है जो काफी कम है. फिर हम राजी हो गए थे.
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी एनएचएसआरसीएल के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला जमीन का नहीं मुआवजे का है. मुद्दा भी इसी पर फंसा है. हाईकोर्ट ने 9 फरवरी को अपने फैसले में इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय गौरव महत्व और जनहित की परियोजना करार देते हुए गोदरेज की अर्जी खारिज कर दी थी. इस बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत ट्रेन गुजरात, दादरा और नगर हवेली और महाराष्ट्र से गुजरेगी.