सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई-प्रोफाइल तलाक मामले को तीन महीने में निपटाने का निर्देश दिया है. यह मामला उद्योगपति जयदेव श्रॉफ और उनकी पत्नी पूनम जयदेव श्रॉफ से जुड़ा है, जो पिछले एक दशक से ठंडे बस्ते में है. मामला मुंबई के बांद्रा फैमिली कोर्ट में चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई, जहां अदालत ने कहा कि फैमिली कोर्ट को 9 महीने का वक्त चाहिए होता है, जबकि इसे जल्द से जल्द निपटाना चाहिए.
जयदेव श्रॉफ की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने बेंच को मामले की लंबी अवधि के बारे में बताया. उन्होंने यह भी बताया कि उनके मुवक्किल ने तलाक के निपटारे के लिए 90 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई थी.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने पूनम श्रॉफ की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने या तो अपने पति के साथ मुंबई स्थित घर में रहने की अनुमति मांगी थी या घर से बाहर रहने के लिए 35.37 लाख रुपये प्रति माह का भुगतान करने की मांग की थी.
अदालत की चेतावनी...
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने साफ तौर से कहा, "अगर कोई भी पक्ष कार्यवाही में देरी करता है, तो उस पक्ष के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जा सकता है." यह निर्देश इस बात को सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है कि मामले को गैर-जरूरी रूप से लंबा न खींचा जाए.
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस एन.वी. अंजारिया और जस्टिस आलोक अराधे की पीठ कर रही थी. बेंच ने कहा कि यह मामला 2015 से लंबित है और इसे तीन महीने के अंदर निपटाया जाना चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिसंबर, 2021 को भी फैमिली कोर्ट को कार्यवाही में तेजी लाने के लिए कहा था. 18 मार्च, 2024 को कोर्ट ने कहा कि 2.3 साल गुजर चुके हैं और फैमिली कोर्ट के जज को इसे 6 महीने के अंदर निपटाने की कोशिश करने के लिए कहा था.