केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी) बिल, 2025 से बदलने के फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने घोषणा की है कि इस मुद्दे पर चर्चा करने और प्रस्ताव पारित करने के लिए 30 दिसंबर को विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया जाएगा.
हर्पाल चीमा ने कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'बीजेपी गरीबों के अधिकार छीनने के लिए बदलाव कर रही है. इस पर चर्चा करने के लिए हम 30 दिसंबर को विशेष विधानसभा सत्र बुला रहे हैं. हमें मनरेगा के नाम बदलने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन बीजेपी की मानसिकता पर आपत्ति है, जो गरीबों के अधिकारों पर हमला कर रही है.'
अर्थव्यवस्था को हो रहा है नुकसान
चीमा ने आगे आरोप लगाया कि बीजेपी केंद्र की योजनाओं में ऐसे बदलाव ला रही है जो राज्यों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिस पर चर्चा के लिए हमने विशेष सत्र बुलाया.
उन्होंने कहा, 'बीजेपी राज्य की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का काम कर रही है और लगातार ऐसे बदलाव कर रही है जो गरीबों को प्रभावित करते हैं.'
वहीं, केंद्र सरकार का दावा है कि नया बिल ग्रामीण रोजगार को मजबूत करेगा और 125 दिनों की गारंटी देगा, लेकिन विपक्षी दल इसे मनरेगा की मूल भावना पर हमला बता रहे हैं.