ओडिशा सरकार द्वारा भगवान जगन्नाथ के नाम पर मौजूद 35,000 एकड़ जमीन को बेचने की खबर सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन (SJTA) ने इस मसले पर ट्वीट किया. SJTA ने कहा कि जगन्नाथ महाप्रभु की 35,000 एकड़ जमीन को बेचने की रिपोर्टिंग पूरी तरह से गलत और प्रेरित है.
बता दें कि इससे पहले खबर आई कि ओडिशा सरकार द्वारा जगन्नाथ मंदिर की 35000 एकड़ जमीन बेची जा रही है. ओडिशा विधानसभा में बीजेपी विधायक मोहन लाल मांझी के एक सवाल का जवाब देते हुए ओडिशा के कानून और आवास और शहरी विकास मंत्री प्रताप जेना ने एक बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा है कि पूर्व राज्यपाल बीडी शर्मा की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी और जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति से स्वीकृति मिलने के बाद राज्य सरकार ने मंदिर की 35,272.235 एकड़ जमीन बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
मोहन चरण मांझी के सवालों का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि भगवान जगन्नाथ के नाम पर 24 जिलों में 60,426.943 एकड़ जमीन की पहचान की गई है, ये जमीनें पूरे राज्य में फैली हैं. इन जमीनों में से अबतक मंदिर प्रशासन द्वारा 34,876.983 एकड़ जमीन पर सफलतापूर्वक दावा किया जा चुका है.
शहरी विकास मंत्री प्रताप जेना ने कहा कि 6 दूसरे राज्यों पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार में भी 395.252 एकड़ जमीन की पहचान की गई है. इस राज्यों के जिन जिलों में जमीन है उसे बेचने के लिए वहां के कलेक्टर से संपर्क किया गया है. जेना ने कहा है कि जिन जमीनों पर दावा सफलतापूर्वक पाया गया है उन्हें सरकार द्वारा स्वीकृत समान नीति के तहत बेचा जा रहा है.
Chief Administrator, Shree Jagannatha Temple Administration (SJTA) clarifies on the issue related to lands of Shree Jagannatha Mahaprabhu. (1/7)
— Shree Jagannatha Temple Office, Puri (@SJTA_Puri) March 18, 2021
वहीं, इस मसले पर जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने कहा कि मंदिर की जो जमीन लंबे समय से अलग-अलग लोगों के कब्जे में हैं, उसको लेकर साल 2003 में “एकीकृत नीति” बनाई गई थी. अब उसी के अनुसार मंदिर कमेटी द्वारा जमीन का निपटान किया जा रहा है.
SJTA की ओर से कहा गया कि एकीकृत नीति का उद्देश्य भगवान जगन्नाथ की जमीन की रक्षा करना था. अब तक 2001 से 2010 तक, 291 एकड़ भूमि का निपटान किया गया और 2011 से 2021 तक 96 एकड़ भूमि का निपटान किया गया है. जमीन का उपयोग जनता के लाभ के लिए जैसे स्कूलों, मेडिकल कॉलेज, सड़कों आदि के रूप में किया गया.
SJTA ने कहा कि जगन्नाथ महाप्रभु की 35,000 एकड़ जमीन को बेचने की रिपोर्टिंग पूरी तरह से गलत और प्रेरित है. हम ओडिशा के लोगों और भगवान जगन्नाथ के लाखों भक्तों से ऐसी रिपोर्टिंग से गुमराह न होने का आग्रह करते हैं. सरकार और अन्य को सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए भूमि के आवंटन के बारे में निर्णय जगन्नाथ मंदिर समिति द्वारा लिया जाता रहा है.
सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार उन लोगों से भी पैसा लेगी जिन्होंने अबतक मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है. राज्य सरकार के अनुसार जिन लोगों ने मंदिर की जमीन पर 30 साल, 20 साल और 12 साल से कब्जा कर रखा है उन्हें एक एकड़ जमीन के लिए क्रमश: 6 लाख, 9 लाख और 15 लाख रुपये देंने होंगे.
मंत्री प्रताप जेना ने सदन को यह भी बताया कि मंदिर के पैसे से कटक में एक भारत मठ का निर्माण किया गया है. इसके अलावा राज्य के अलग अलग जिलों में अबतक मंदिर की 315.337 एकड़ जमीन बेची गई है और इससे विक्रय से हासिल 11 करोड़ 20 लाख रुपये को मंदिर फंड में जमा किया गया है.