रक्षा मंत्रालय ने भारत के अगले 15 वर्षों का डिफेंस प्लान जारी किया है. यह डिफेंस प्लान देश की सैन्य क्षमताओं को भविष्य की चुनौतियों व जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है. इसमें भारत की तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण का रोडमैप है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी और नेक्स्ट जनरेशन वारफेयर पर फोकस है. पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के चार महीने बाद जारी इस प्लान के तहत उन्नत स्वदेशी तकनीकों के इंटीग्रेशन पर जोर दिया गया है ताकि भविष्य की युद्ध तैयारियों को बढ़ाया जा सके.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार
- अगले 15 वर्षों में जो प्रमुख सैन्य खरीद होगी, उसमें नौसेना के लिए न्यूक्लियर प्रोपल्शन, अगली पीढ़ी के टैंक, और अनमैंड कॉम्बैट सिस्टम्स (मानवरहित युद्ध प्रणालियां) शामिल हैं.
- वहीं थल सेना अगले 15 वर्षों में 1,800 से अधिक युद्धक टैंक, 400 हल्के टैंक, 6 लाख आर्टिलरी राउंड्स (तोप के गोले), और विभिन्न अनमैंड एरियल सिस्टम्स को हासिल करने की योजना बना रही है.
- नौसेना की प्राथमिकताओं में एक एयरक्राफ्ट कैरियर (विमानवाहक पोत), अगली पीढ़ी के 10 डिस्ट्रॉयर, 10 से अधिक लैंडिंग प्लेटफॉर्म, और मॉडर्न हेलीकॉप्टर शामिल हैं.
- वायुसेना 20 स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप, 350 मल्टी-मिशन ड्रोन, स्टील्थ UCAV, हाई-पावर लेजर सिस्टम, और डायरेक्टेड-एनर्जी वेपन हासिल करने की योजना बना रही है.
भारतीय सेनाओं के लिए डिफेंस मिनिस्ट्री के अगले 15 वर्षों के रोडमैप में साइबर सिक्योरिटी, सैटेलाइट-बेस्ड कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक डिनायल जोन, और एंटी-स्वार्म ड्रोन क्षमताओं के महत्व पर भी जोर दिया गया है. कुल मिलाकर, यह डिफेंस प्लानिंग भारत की सशस्त्र सेनाओं को भविष्य के युद्ध परिदृश्यों के लिए आधुनिक बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है.
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रक्षा मंत्रालय ने अपने रोडमैप में कहा है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हमेशा बेहतर युद्ध उपकरण बनाने के लिए होता रहा है. आज हम टेक्नोलॉजी में बहुत बड़ी क्रांति देख रहे हैं. इसने साइबर अटैक, ड्रोन जैसे ऑटोमेटिक सिस्टम, इंफॉर्मेशन डॉमिनेंस, स्पेस वार और दूसरे नए आयामों को जन्म दिया है, जो प्रभावशाली सैन्य अभियानों (Effect-Based Operations) का हिस्सा बन गए हैं.
रक्षा मंत्रालय ने आगे कहा, 'रोबोटिक्स, AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), और IT (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) जैसे क्षेत्रों में तेजी से हो रही प्रगति भविष्य के युद्ध परिदृश्य को बदल रही है. जैसे-जैसे भारत अगले दशकों में बड़ी चुनौतियों का सामना करने जा रहा है, हमारी सेनाओं को इसके लिए तैयार रहना होगा. प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर की पार्टनरशिप भविष्य का रास्ता है. भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को Make in India इनिशिएटिव को प्राथमिकता देनी चाहिए. देश में रक्षा उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार हर तरह का समर्थन देगी.'