भारतीय सेना ने हाल ही में पूर्वी हिमालय के चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र और कठोर मौसम, विशेषकर कामेंग क्षेत्र में अभ्यास युद्ध कौशल 3.0 का आयोजन किया. इस अभ्यास का निरीक्षण गजराज कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) ने किया. अभ्यास में सेना की एडवांस तकनीक, ऑपरेशनल इनोवेशन और प्रोफेशनल एक्सपर्टीज का प्रभावशाली संयोजन दिखाया गया.
इस बड़े पैमाने पर किए गए अभ्यास ने सेना की मल्टी-डोमेन वातावरण में संचालन की क्षमता को उजागर किया. इसमें ड्रोन निगरानी, रियल-टाइम लक्ष्य अधिग्रहण, सटीक हमले, एयर-लिटोरल प्रभुत्व और समन्वित युद्धक्षेत्र संचालन जैसी गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया.
इस अभ्यास में नई ASHNI पलटन भी पहली बार शामिल हुई, जो दिखाती है कि नई तकनीक और अनुभव मिलकर युद्ध में मदद कर सकते हैं. युद्ध कौशल 3.0 का एक अनोखा पहलू भारतीय नागरिक रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी था, जो भारत के “डेकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन” के अभियान को प्रतिबिंबित करता है.
इस सहयोग ने यह दिखाया कि कैसे देशीय रक्षा नवाचारों को युद्धक्षेत्र में वास्तविक लाभ में बदला जा रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होती है और आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा मिलता है.
इस अभ्यास ने सेना की उच्च-altitude और कठिन जलवायु में संचालन की तत्परता को प्रमाणित किया और उभरती तकनीकों जैसे कि अनमैंडेड सिस्टम, सटीक हथियार और मल्टी-डोमेन संचालन रणनीतियों के समेकन के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दोहराया.
युद्ध कौशल 3.0 की सफल समाप्ति भारतीय सेना की उत्कृष्टता, अनुकूलन क्षमता और तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने की प्रतिबद्धता को उजागर करती है और इसे अगली पीढ़ी की युद्धक तैयारियों के लिए भविष्य-सक्षम बनाए रखती है.