कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू जेल से रिहा होंगे. यह जानकारी सिद्धू के ट्विटर हैंडल से दी गई. सिद्धू को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के रोड रेज केस में 1 साल की सजा सुनाई थी. वे पिछले 10 महीने से जेल में बंद हैं.
This is to inform everyone that Sardar Navjot Singh Sidhu will be released from Patiala Jail tomorrow.
(As informed by the concerned authorities).
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) March 31, 2023
दरअसल, सिद्धू ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक शख्स की पिटाई की थी. इसके बाद उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी. हालांकि, रिपोर्ट में सामने आया था कि शख्स की मौत हार्ट अटैक से हुई.
बरी, दोषी, बरी फिर दोषी
- इस मामले में सिद्धू को निचली अदालत ने बरी कर दिया था. लेकिन हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी.
- इसके बाद सिद्धू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी गई थी. 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिद्धू को इस मामले में 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था.
- लेकिन पीड़ित के परिजनों ने मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई 2022 को सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी.
1 साल के बजाय 10 महीने में क्यों हो रही रिहाई?
पहले अच्छे आचरण के चलते सिद्धू की रिहाई 26 जनवरी को होनी थी. लेकिन आखिरी मौके पर उनकी रिहाई टाल दी गई थी. तब बताया गया था कि सजा के दौरान जेल में नवजोत सिंह सिद्धू का आचरण अच्छा पाया गया. उन्हें क्लर्क के तौर पर जेल के कामकाज की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उन्होंने जेल में नियम होने के बावजूद भी कोई छुट्टी तक नहीं ली थी.
जेल प्रशासन ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अच्छे आचरण के चलते कई कैदियों को रिहा करने की सिफारिश पंजाब सरकार को भेजी थी, उसमें सिद्धू का भी नाम था. हालांकि, पंजाब सरकार ने सिद्धू को रिहा नहीं किया था.
क्या है मामला?
27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट पहुंचे थे. ये जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर दूर थी. उस समय सिद्धू एक क्रिकेटर थे. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था.
इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई. बात हाथापाई तक जा पहुंची. सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ था.
सिद्धू की पत्नी को स्टेज-2 कैंसर
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी कैंसर से जूझ रही हैं. उन्होंने हाल ही में ट्वीट कर यह जानकारी दी थी. सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर स्टेज-2 कैंसर से पीड़ित हैं. उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, वह (नवजोत सिंह सिद्धू) ऐसे अपराध के लिए जेल में बंद हैं, जो उन्होंने किया ही नहीं. इस मामले में शामिल सभी लोगों को माफ कर दिया है. हर दिन बाहर आपका इंतजार करना शायद आपसे ज्यादा कष्टदायक है. हमेशा की तरह आपके दर्द को दूर करने की कोशिश में हूं. मैं बार-बार आपको न्याय से वंचित होते देखकर आपका इंतजार कर रही हूं. एक छोटी ग्रोथ देखने को मिली. पता था कि यह खराब है.
उन्होंने आगे लिखा था कि आपका इंतजार कर रही हूं. यह देख रही हूं कि आपको हर बार न्याय से दूर रखा जा रहा है. सच में बहुत ताकत होती है लेकिन यह बार-बार आपका इम्तिहान लेता है. कलयुग. माफ करना इंतजार नहीं कर सकती क्योंकि यह स्टेज-2 कैंसर है. इसमें किसी का दोष नहीं है क्योंकि ईश्वर को यही मंजूर है.
चुनाव में करारी हार के बाद हुई थी जेल
2022 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर ये फैसला सुनाया था. सिद्धू विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. इस चुनाव में सिद्धू को खुद अमृतसर पूर्व से चुनाव हार गए थे.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति से पहले क्रिकेटर भी रहे हैं. वे कॉमेंट्री से कॉमेडी, टीवी तक अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं.
सिद्धू ने 20 साल की उम्र में बल्ला थामा था. उन्होंने 16 साल तक टीम इंडिया के लिए अहम भूमिका निभाई. सिद्धू साल 2004 में राजनीति में आए. वह बीजेपी की ओर से अमृतसर लोकसभा सीट से 2004 से लेकर 2014 तक सांसद रहे. इसके बाद अप्रैल, 2016 में सिद्धू राज्यसभा के सांसद बनाए गए, लेकिन उन्होंने महज 3 महीने बाद अपना इस्तीफा दे दिया. फिर चर्चा चली कि सिद्धू आम आदमी पार्टी का दामन थामेंगे और राज्य में पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे. हालांकि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का 'हाथ' पकड़ लिया.
2017 में हुए विधानसभा चुनावों में पंजाब की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया. लिहाजा कांग्रेस ने सूबे में सरकार बनाई. तब सिद्धू को कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद साल आया 2019 का. जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैबिनेट में बदलाव करते हुए सिद्धू का मंत्रिमंडल बदल दिया. इसके विरोध में सिद्धू ने पदभार ग्रहण किए बिना ही इस्तीफा दे दिया. सिद्धू ने 2021 में चुनाव से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था.
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