कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व संघर्ष के बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के सूत्रों के मुताबिक, 1 दिसंबर को शुरू होने वाले संसद सत्र से पहले मुख्यमंत्री बदलने या नहीं बदलने का फैसला हो जाएगा. उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सोनिया गांधी से मिलने का वक्त मांगा है और वे 29 नवंबर को दिल्ली आ सकते हैं. शिवकुमार पिछले एक हफ्ते से राहुल गांधी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे. राहुल गांधी ने उन्हें व्हाट्सएप पर 'कृपया प्रतीक्षा करें, मैं आपको कॉल करूंगा' का जवाब दिया.
डीके शिवकुमार और पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जरकीहोली के बीच मंगलवार देर रात एक अज्ञात स्थान पर गुप्त बैठक हुई. दोनों नेताओं ने इस मुलाकात के लिए अपने सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए थे.
मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले जरकीहोली, शिवकुमार के साथ मतभेदों को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे.

कांग्रेस हाईकमान पर दबाव...
डीके शिवकुमार के समर्थक विधायकों ने दिल्ली जाकर कांग्रेस आलाकमान पर मुख्यमंत्री पद रोटेशन के लिए 2023 के 'सत्ता-साझाकरण' वादे को लागू करने का आग्रह किया है. इस बैकग्राउंड में ही शिवकुमार और जरकीहोली के बीच बैठक हुई, जिसका मुख्य केंद्र दोनों के बीच मतभेदों को सुलझाना था. शिवकुमार खेमे के सूत्रों ने बताया कि दोनों के बीच बातचीत आधी रात के बाद तक चली.
यह भी पढ़ें: फटने वाला है कर्नाटक कांग्रेस का ज्वालामुखी, 'हाईकमान' यानी राहुल गांधी चुप क्यों?
आगे की रणनीति और OBC समर्थन
दोनों नेताओं ने 2023 के चुनावों के दौरान KPCC अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एक साथ काम किया था. समझा जाता है कि उन्होंने 2028, 2029 के लिए पार्टी के रोडमैप और सिद्धारमैया युग के बाद की स्थिति पर व्यापक बातचीत की, क्योंकि मुख्यमंत्री अपने चुनावी सफर के अंत के करीब माने जा रहे हैं. चर्चा का मुख्य फोकस OBC समर्थन को मजबूत करने और जरकीहोली को एक प्रमुख पिछड़ा वर्ग के नेता के रूप में स्थापित करने पर था.
खड़गे का दौरा और शिवकुमार की दिल्ली यात्रा
इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज शाम बेंगलुरु जाएंगे और कल वापस दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे. डीके शिवकुमार भी 29 नवंबर को दिल्ली जाने की तैयारी में हैं और उन्होंने उसी दिन राजधानी लौट रहीं सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है.
हुआ था एक समझौता...
सूत्रों का कहना है कि डीके शिवकुमार ने सतीश जरकीहोली को बताया कि उनके और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच 5-6 सीनियर नेताओं की मौजूदगी में 2.5 साल बाद सत्ता सौंपने का एक समझौता हुआ था, लेकिन इस वादे का पालन नहीं किया गया. सूत्रों का कहना है कि सतीश का पहला खास अधिकार इस संकट के दौरान मुख्यमंत्री के साथ मजबूती से खड़ा रहना है. उनकी दूसरी स्थिति यह है कि अगर हाई कमांड सिद्धारमैया को पद छोड़ने का निर्देश देता है, तो वह निर्देश का पालन करेंगे.
यह भी पढ़ें: क्या सिद्धारमैया रोक पाएंगे शिवकुमार गुट को? कर्नाटक में कुर्सी की लड़ाई में किसकी कितनी ताकत
सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया राहुल गांधी की बात सुनने को तैयार हैं, जिन्होंने उन्हें दो बार मुख्यमंत्री पद पर बिठाया. अगर राहुल बदलाव का निर्देश देते हैं, तो सिद्धारमैया उसका पालन करेंगे. पता चला है कि सतीश ने डीके शिवकुमार से कहा कि अगर हाई कमान शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच समझौते के बारे में साफ घोषणा करता है, तो सारा कन्फ्यूजन और चल रहा संकट हल हो सकता है.