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लैंड फॉर जॉब केस में लालू यादव पर आ सकता है फैसला, HC से खारिज हो चुकी है चार्जशीट रद्द की मांग वाली याचिका

बीते दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले से जुड़े केस लालू यादव की चार्जशीट खारिज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. अब इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट आज फैसला सुना सकती है.

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पूर्व रेल मंत्री और RJD चीफ लालू यादव. (फाइल फोटो)
पूर्व रेल मंत्री और RJD चीफ लालू यादव. (फाइल फोटो)

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट आज लैंड फॉर जॉब मामले में आरोपी आरजेडी प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू यादव पर फैसला सुना सकता है. इस मामले में लालू और उनके परिवार के सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने रेलवे में नौकरियां देने के बदले जमीन ली थी. वहीं, इससे पहले लालू को दिल्ली हाईकोर्ट ने झटका देते हुए चार्जशीट खारिज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. 

दरअसल, लालू यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर लैंड फॉर जॉब मामले में दायर चार्जशीट को खारिज करने की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा था कि लालू यादव ट्रायल कोर्ट में अपने तर्क पेश कर सकते हैं, लेकिन प्रक्रिया को रोकने का उन्हें कोई आधार नहीं है.

आदेशों को रद्द करने मांग की

याचिका में लालू ने एफआईआर और 2022, 2023 और 2024 में दाखिल तीन चार्जशीट्स, साथ ही संज्ञान लेने के आदेशों को रद्द करने की मांग की थी. 

अदालत में लालू की ओर से पेश हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि जांच और एफआईआर, साथ ही जांच और बाद में दाखिल चार्जशीट्स कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं हैं, क्योंकि जांच एजेंसी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत पूर्व अनुमति प्राप्त करने में विफल रही.

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लालू प्रसाद की याचिका में कहा गया कि एफआईआर 2022 में दर्ज की गई, यानी लगभग 14 साल की देरी के बाद, जबकि सीबीआई की शुरुआती जांच और जांच बंद कर दी गई थी और सक्षम कोर्ट के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई थी.

याचिका में दावा किया गया है, 'याचिकाकर्ता को एक अवैध, प्रेरित जांच के माध्यम से पीड़ित किया जा रहा है जो निष्पक्ष जांच के उसके मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है. वर्तमान जांच और पूछताछ दोनों की शुरुआत गैर-कानूनी है, क्योंकि दोनों को पीसी अधिनियम की धारा 17 ए के तहत अनिवार्य अनुमोदन के बिना शुरू किया गया है.'

क्या है मामला

यह मामला उनके 2004-2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में ग्रुप-डी की नियुक्तियों के बदले कम कीमत पर जमीन ट्रांसफर करने के आरोपों से जुड़ा है. सीबीआई का दावा है कि लालू यादव और उनके परिवार ने इस दौरान भ्रष्टाचार और पद का दुरुपयोग किया.

2 जून 2025 को इस मामले में आरोप तय करने पर बहस शुरू हुई थी और 3 जून को ये सुनवाई जारी रही. दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 मई, 2025 को लालू की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी.

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अपनी याचिका में प्रसाद ने कहा कि एफआईआर 2022 में दर्ज की गई, यानी लगभग 14 साल की देरी के बाद, जबकि सीबीआई की शुरुआती पूछताछ और जांच सक्षम अदालत के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद बंद कर दी गई थी.

आपको बता दें कि ये मामला 18 मई, 2022 को लालू प्रसाद और अन्य, जिसमें उनकी पत्नी, दो बेटियां, अज्ञात सार्वजनिक अधिकारी और निजी व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किया गया था.

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