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'पैसे तो कुत्ते भी कमाते हैं, तुम तो इंसानियत दिखाओ...' DC ने डॉक्टर को लगाई फटकार

स्वास्थ्य विभाग की मीटिंग चल रही थी. इस दौरान किसी बात को लेकर साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव ने राजमहल अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक उदय मुर्मू को फटकार लगा दी और कहा कि 'पैसे तो कुत्ते भी कमाते हैं, डॉक्टर हो... कम से कम तुम तो इंसानियत दिखाओ.'

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साहिबगंज में डॉक्टर्स हड़ताल कर रहे हैं.
साहिबगंज में डॉक्टर्स हड़ताल कर रहे हैं.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • झारखंड के साहिबगंज जिले का मामला
  • भरी सभा में फटकार लगी तो हंगामा हो गया

झारखंड में साहिबगंज जिले के उपायुक्त (DC) ने एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को भरी सभा में बेइज्जत कर दिया. उन्होंने कहा कि 'पैसे तो कुत्ते भी कमाते हैं. डॉक्टर हो कम से कम तुम तो इंसानियत दिखाओ.' इस घटनाक्रम के बाद हंगामा हो गया और नाराज डॉक्टर्स ने कार्य से बहिष्कार कर दिया. यहां दो दिन से ओपीडी बंद चल रही है. इस संबंध में DC का कहना है कि कर्तव्यहीनता पर उन्होंने डांट-फटकार लगाई है.

घटना 4 जुलाई की है. स्वास्थ्य विभाग की मीटिंग चल रही थी. इस दौरान किसी बात को लेकर साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव ने राजमहल अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक उदय मुर्मू को फटकार लगा दी और कहा कि 'पैसे तो कुत्ते भी कमाते हैं, डॉक्टर हो... कम से कम तुम तो इंसानियत दिखाओ.' डीसी के शब्दों को लेकर साहिबगंज में बवाल मच गया है. सभी सरकारी चिकित्सक हड़ताल पर चले गए हैं. उनका कहना है कि साहिबगंज के डीसी ने उनकी तुलना कुत्ते से की है, जिससे चिकित्सा वर्ग आहत हुआ है.

एक अन्य मामले में बोरियों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर बुद्धदेव मुर्मू को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है. इस संबंध में उपायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टर बुद्धदेव को सस्पेंड करने की अनुशंसा की थी. निलंबन के बाद उन्होंने इसकी शिकायत चिकित्सकों के संगठन आईएमए और झासा से की है, जिसके बाद चिकित्सकों ने डीसी रामनिवास यादव पर चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया. कहा जा रहा है कि इन दोनों ही घटनाओं को लेकर ओपीडी ठप की गई है. 

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हालांकि, ओपीडी ठप करने का कारण डॉ. बुद्धदेव मुर्मू का निलंबन भी बताया जा रहा है. डॉक्टर निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने बताया जा रहा है कि चिकित्सक उपायुक्त के लगातार कथित दुर्व्यवहार से आहत हैं. सरकारी डॉक्टर्स की हड़ताल से सदर अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में शनिवार और रविवार को मरीजों का इलाज नहीं हो सका है. चिकित्सकों ने काला बिल्ला लगाकर सदर अस्पताल में प्रदर्शन भी किया.

इन मामलों के कारण च‍िक‍ित्‍सकों की हड़ताल

आईएमए और झासा से संबद्ध चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मोहन पासवान ने कहा क‍ि उपायुक्‍त रामनिवास यादव के द्वारा चिकित्सक उदय मुर्मू की तुलना कुत्‍ते से करने को लेकर सभी  चिकित्सक आहत हैं. साथ ही डॉक्‍टरों के प्रति डीसी का रवैया भी अच्‍छा नहीं है. च‍िक‍ित्‍सकों ने कहा कि इसी वजह से डॉक्‍टर तनाव में काम करते हैं. दूसरा मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बोरियो के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. बुद्धदेव मुर्मू के निलंबन से जुड़ा है. उनकी मांग है क‍ि जब तक न‍िलंबन वापस नहीं होता है तब तक वे लोग आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे. 

चिकित्सकों के अनुसार, डॉ. बुद्धदेव मुर्मू को बेवजह निलंबित किया गया है. जब तक निलंबन वापस नहीं होता, ओपीडी ठप रहेगी. इस संबंध में पीड़ित राजमहल अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. उदय टुडू ने बताया कि चार जुलाई को कलेक्ट्रेट के सभागार में हुई बैठक में उपायुक्त रामनिवास यादव ने उनकी तुलना कुत्ते से की है. चिकित्सकों को उन्होंने बताया कि डीसी ने उन्हें कहा कि पैसा तो कुत्ता भी कमाता है. इस बात से सभी डॉक्‍टर काफी आहत हुए. अंततः ओपीडी ठप करने का निर्णय लिया गया है.

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इधर, डीसी रामनिवास यादव ने चिकित्सक द्वारा लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उन्होंने कहा कि मीटिंग में उन्होंने चिकित्सक को डांटा जरूर था लेकिन किसी तरह के अपशब्द नहीं कहे थे. उपायुक्त ने कहा कि पिछले दिनों राजमहल अनुमंडल अस्पताल में एक बच्ची को इलाज के लिए लाया गया था. वह चलकर वहां आई थी, लेकिन दवा देने के बाद उसकी मौत हो गयी थी. उनके आदेश के बावजूद की कोई भी आयुष डॉक्टर ओपीडी नहीं करेंगे. 

इसकी अवहेलना करते हुए वहां तैनात आयुष चिकित्सक डॉ. जुल्फीकार रहमान ने ना केवल ओपीडी अटेंड की, बल्कि उसे एलोपैथी दवा दी थी. परिजनों का आरोप था कि गलत इलाज की वजह से बच्ची की मौत हुई है. जबकि अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक उदय मुर्मू पास में ही अपने निजी क्लीनिक में प्रैक्टिस कर रहे थे. 

उपायुक्त ने इसी बात को लेकर बैठक में कहा था कि पैसे तो कुत्ता भी कमाते हैं. कम से कम आप लोग इंसानियत दिखाइए.  मैंने चिकित्सकों कभी कुत्ता नहीं कहा. उपायुक्त ने कहा कि इसी वजह से उन्होंने उसे डांटा था. अक्सर चिकित्सक ड्यूटी से गायब रहते हैं. कई चिकित्सकों के खिलाफ हाल में कार्रवाई हुई है, जिससे बचने के लिए चिकित्सक आंदोलन कर रहे हैं. डॉक्टर बुद्धदेव मुर्मू के संबंध में उन्होंने कहा कि बांझी सीएचसी में एक सीएचओ के वेतन मामले को लेकर हाईकोर्ट में गलत शपथ पत्र देकर उन्होंने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की किरकिरी कराई थी. पीड़ित ने खुद लिख कर दिया था कि वह 2 महीने अनुपस्थित थी, जिसका वेतन काटा जा सकता है. 

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जबकि डॉ. बुद्धदेव मुर्मू ने कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि वह लगातार ड्यूटी की है, जिसके चलते विभाग एवं जिला प्रशासन की किरकिरी हुई. बाद में किसी तरह मामले को निपटाया गया. इस मामले में डॉ. बुद्धदेव मुर्मू और सिविल सर्जन कसे शोकॉज नोटिस देकर जवाब तलब किया था. 

उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना के कारण विभाग ने डॉक्टर बुद्धदेव मुर्मू को निलंबित कर दिया है. इसमें उनका कोई रोल नहीं है. बेवजह उन्हें इसमें घसीटा जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को सुधारने के लिए कड़े स्टेप उठाने के चलते वे चिकित्सकों के निशाने पर हैं.

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