प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने तो सिंधु के पानी को लेकर अभी कुछ किया ही नहीं है. तो आखिर क्या है पीएम मोदी का सिंधु जल समझौते पर आखिरी दांव? पाकिस्तान पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने जिस तरह से सिंधु जल समझौते को निलंबित किया है उसे आतंक के खिलाफ जंग में निर्णायक बताया जा रहा है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक ये तो सिर्फ शुरुआत है. PM ने सिंधु जल समझौते को लेकर आज कहा कि अभी तो उन्होंने कुछ किया ही नहीं है. सवाल ये है कि क्या सिंधु जल समझौते पर मोदी का आखिरी दांव अभी बाकी है?
ऑपरेशन सिंदूर से पस्त पड़े पाकिस्तान के सामने भूखे प्यासे मरने की नौबत जल्द आ सकती है. पाकिस्तान के नेताओं को पसीने आ रहे हैं और वो रहम की भीख मांग रहे हैं. पाकिस्तान को सीधा करने के लिए भारत ने जो सिंधु जल समझौता निलंबित किया है उसे लेकर पाकिस्तान में लोग परेशान है. सरकार पसोपेश में है कि वो इस समस्या से कैसे निपटे? 60 सालों से पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते का बेजा फायदा उठाया लेकिन अब भारत ने तय कर लिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे.
भारत के फैसले से पाकिस्तान में बौखलाहट
22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करके पाकिस्तान को हैरान कर दिया. शुरू में उसकी तरफ से धमकी दी गई, वर्ल्ड बैंक की धौंस दिखाई गई लेकिन अब उसे यकीन हो गया है कि जो एकतरफा समझौता दशकों पहले हुआ उसको सही करने का समय आ चुका है. भारत सरकार के इन्हीं तेवरों से पाकिस्तान में सरकार-सांसद ही नहीं आतंकवादी और पाकिस्तानी सेना के जनरल तक डरे हुए हैं और एक ही सुर में धमकी देने पर आमादा हैं.
पाकिस्तानी संसद में भी सिंधु जल समझौते पर भारत के कड़े फैसले की चर्चा है. पाकिस्तानी सांसद सैयद अली जफर ने नेशनल एसेंबली में कहा कि देश की 90 प्रतिशत खेती सिंधु पर निर्भर है और ऐसे में अगर पानी नहीं मिला तो यहां लोग भूखे मर जाएंगे.
पाकिस्तान की 'लाइफ लाइन' है सिंधु नदी
सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवन रेखा कही जाती है. पाकिस्तान का तीन-चौथाई पानी सिंधु समझौते वाली नदियों से आता है. पाकिस्तान में खेती की 90% जमीन यानी 4.7 करोड़ एकड़ एरिया में सिंचाई के लिए पानी सिंधु नदी प्रणाली से मिलता है. पाकिस्तान के मंगल और तारबेला हाइड्रोपावर डैम को पानी सिंधु जल समझौते से मिलता है. पाकिस्तान में 30% से 50% बिजली उत्पादन में इसी से होता है.
चाहे बिलजी हो या फिर सिंचाई के लिए पानी, सिंधु नदी के इर्दगिर्द ही पाकिस्तान में सबकुछ निर्भर है. इसलिए सिंधु जल समझौते को लेकर पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. बड़ी बात ये है कि पानी को लेकर पाकिस्तान में पहले से ही राज्यों के बीच लड़ाई हो रही है. पाकिस्तानी पंजाब कटघरे में है, जिस पर दूसरे राज्य उनके हक के पानी को हड़पने का इल्जाम लगा रहे हैं.
नेताओं पर फूट रहा जनता का गुस्सा
पिछले हफ्ते पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बेटी और PPP के चेयरमैन की बहन के काफिले पर आम लोगों ने हमला कर दिया. सिंधु नदी में नहर बनाए जाने का विरोध हो रहा है. सिंध के लोगों का आरोप है कि उनके हिस्से के पानी को पंजाब को दिया जा रहा है. इसी का विरोध कर रहे लोगों पर जब पुलिस ने फायरिंग शुरू की तो प्रदर्शन हिंसक हो गया. आसिफा भुट्टो जरदारी और विश्व बैंक के प्रतिनिधिमंडल के इस काफिले को जमशोरो शहर के पास रोका गया, जहां सिंध सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सिंधी प्रदर्शनकारियों ने काफिले को रोका और लाठीचार्ज करने की कोशिश की.
इससे पहले 21 मई को पाकिस्तान के सिंध में ही वहां के गृह मंत्री के घर को प्रदर्शनकारियों ने फूंक दिया था. लाठीचार्ज करने की कोशिश की. इस तरह पाकिस्तान को लेकर भारत का ये तीर बिल्कुल निशाने पर लगा है. सोचिए अगर पाकिस्तान की अभी ये हालत है तो आगे क्या होगा, जब भारत सिंधु के पानी को रोकने के पुख्ता इंतजाम करेगा.
सैटेलाइट तस्वीरों से समझें भारत कैसे कंट्रोल कर रहा नदियों का फ्लो
अभी सिंधु जल समझौते पर ब्रेक लगे महीने भर से ज्यादा हुआ है लेकिन पाकिस्तान में त्राहिमाम मच गया. सिंधु नदी के बारे में सोच-सोचकर पाकिस्तानी सांसदों का हलक सूखा जा रहा है तो पाकिस्तान के किसानों को यही चिंता खाए जा रही है कि अब खेतों की सिंचाई कैसे होगी. भारत का ये कदम, पाकिस्तान को कई बार युद्धभूमि में मिली हार से भी ज्यादा चोट देने वाला साबित हो रहा है. हमारी ओपन सोर्स इन्वेस्टिगेशन टीम की पड़ताल में बड़ी बात पता चली है.
महीने भर की सैटेलाइट तस्वीरों और पानी के डेटा से साफ है कि भारत ने चिनाब और झेलम के बहाव को कुछ हद तक नियंत्रित करना शुरू कर दिया है, जिससे नदियों के बहाव में बड़ा फर्क साफ देखा जा सकता है. चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध में 23 अप्रैल को समझौता रद्द होने से पहले तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन एक मई की तस्वीरों में कुछ बदलाव देखा जा सकता है. यहां फ्लशिंग दिखी. पानी के साथ गाद निकलने से नदी का रंग बदल गया. इसके बाद 10 दिन तक डैम के गेट बंद रहे. फिर 11 मई को अचानक पानी छोड़ा गया. 13 मई को डैम के गेट बंद कर दिए गए जबकि 21 मई को दोबारा खोल दिए गये. यानी पहले बांध में पानी भरा जा रहा है और फिर तेजी से छोड़ा जा रहा है.
चिनाब नदी पर भारत का आखिरी डैम, बगलिहार बांध है जबकि पाकिस्तान का पहला बांध मराला डैम है. इस बांध के डेटा से पानी के फ्लो में आए बदलाव को समझिए. जब संधि रद्द हुई, तब बहाव 14,800 क्यूसेक था. 2 मई को ये घटकर 8,087 क्यूसेक हो गया. 3 मई को अचानक बढ़कर 55,148 क्यूसेक हो गया. 6 मई तक ये फिर से बहुत कम होकर 3,761 क्यूसेक रह गया. 9 मई को ये 18,331 क्यूसिक तक पहुंचा. फिर 16 मई को 3470 क्यूसेक, वहीं 20 मई को फिर बढ़कर 20,648 क्यूसेक पहुंच गया. तो भारत के ताजा फैसले से जहां भारतीय बांध की क्षमता बढ़ रही है तो वहीं पाकिस्तान का सिंचाई सिस्टम बिगड़ रहा है और ये तो अभी सिर्फ शुरुआत है.