Railway Track Stones: आमतौर पर कई बार आपके दिमाग में एक बात आती होगी कि आखिर इतनी भारी-भरकम ट्रेन का वजन जरा सी पटरिया कैसे उठा लेती हैं, कई बार जब आप पटरियों की तरफ देखते होंगे तो एक सवाल का जवाब आपके दिमाग में जरूर आता होगा वो ये कि पटरियों के बीच और आस-पास ये पत्थर क्यों बिछाए जाते है तो चलिए आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं.
नुकीले पत्थर बिछाने के दो कारण:
आपने रेलवे ट्रैक पर पटरियों के बीच में एक पट्टी देखी होगी जिसे स्लीपर्स भी कहते हैं. असल में इन स्लीपर्स का काम होता है कि पटरियों पर जोर ना पड़े और ये ट्रेन के वजन को व्यवस्थित कर सकें. इसके अलावा इसके आस-पास नुकीले पत्थरों को डाला जाता है उसके पीछे 2 कारण हैं- एक तो ट्रेन जब तेज गति से चलती है तो ऐसे में ये नुकीले पत्थर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं. जिससे ट्रेन का बैलेंस बना रहता है.
पहले होता था लकड़ी के स्लीपर्स का इस्तमाल
रेलवे ने शुरुआत में लकड़ी के स्लीपर्स का इस्तमाल एक लंबे समय तक किया, लेकिन बाद में मौसम और बारिश की वजह से ये गल जाती थीं और उससे रेल हादसा होने का खतरा बना रहता था ऐसे में कंक्रीट के ये स्लीपर्स मजबूती के साथ पत्थरों को जकड़े रहते हैं.
रेलवे ट्रैक पर गिट्टी बिछाने के पीछे क्या है वजह, भारतीय रेल क्यों करती है समय-समय पर गिट्टी की देखभाल?
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) May 12, 2022
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नुकीले पत्थरों को कहते है ट्रैक बैलेस्ट
ट्रेन जब ट्रैक से गुजरती है तो उस समय काफ़ी तेज़ कंपन और काफी शोर होता है. ऐसे में ट्रैक बैलेस्ट उस शोर को कम करके ट्रैक को बैलेंस रखता है इसके अलावा ट्रेनों की गति के वक्त ये नुकीले पत्थर आपस में जुड़े रहते हैं. साथ ही, ये रेलवे के आस पास घास और पेड़ पौधों को उगने से रोकता है. असल में रेलवे ट्रैक की पटरियों को तीन लेवल में लगाया जाता है. सबसे पहली मिट्टी इस उसके बाद कंक्रीट और पत्थर जिसकी वजह से ट्रैक पर पेड़ पोधे उग नहीं पाते हैं.