अयोध्या में रामलला के मंदिर की पुनर्प्रतिष्ठा और रामलला के विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में त्रेता युग की बातें कहीं. अब इस पहेली के कई जवाब हैं. सबसे पहले तो यह कि इस युग में भगवान विष्णु ने पहली बार पूर्ण मानव के रूप में अवतार लिया वामन. फिर परशुराम और फिर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम. यानी त्रेता युग में सभ्यता का कद, पद, प्रतिष्ठा, मर्यादा सब विकास की राह पर चले.
त्रेता युग रामायण युग भी था. राम युग में सबको बोलने का अधिकार था. सबकी सुनी भी जाती थी. यानी लोकतंत्र अपने पूरे उदात्त रूप में था. कैकेयी ने जो कहा या फिर धोबी ने जो कहा. सबकी सुनवाई हुई. राजा बदल गए, लेकिन राजनीति वही रही. इस युग की खासियत इस बात से पता चलती है कि दशावतार के क्रम में इस युग में विष्णु के तीन अवतार हुए. भगवान वामन, परशुराम और भगवान राम!
क्रमिक विकास की वैज्ञानिक अवधारणा
जीनोलॉजी के क्रमिक विकास में यही युग था, जब मानव सभ्यता नरसिंह से आगे बढ़कर वर्तमान की ओर आई. नरसिंह अवतार भगवान विष्णु के चौथे अवतार यानी आधे मनुष्य और आधे हिंसक पशु की अवधारणा से आगे बढ़कर शुद्ध मानवीय विकास यानी वामन अवतार की बात कहता है. वैसे भी भगवान विष्णु के दशावतार जीनोम सिक्वेंस के क्रमिक विकास की वैज्ञानिक अवधारणा है.
...और इस तरह शुरु हुई मानव बनने की यात्रा
सतयुग में चार अवतार हुए. सबसे पहले जीवन पानी में विकसित हुआ. यानी मत्स्यावतार. फिर जल से जीवन स्थल तक आया. जल और थल दोनों पर जीवन फैला तो अवतार का नाम हुआ कूर्म यानी कच्छप यानी कछुआ. फिर जीवन जंगल में पहुंचा और विकास के तीसरे अवतार का नाम हुआ वराह! जीन डवलप हुआ तो जानवर से मानव बनने की यात्रा शुरू हुई नरसिंह अवतार आया. सतयुग के बाद त्रेता युग में भगवान विष्णु के तीन अवतार भी जीन विकास के अलग-अलग चरणों की गाथा कहते हैं. पहली बार भगवान विष्णु ने पूर्ण मानव रूप में अवतार लिया. द्वापर में भगवान कृष्ण आए. कलियुग में दो अवतार भगवान बुद्ध और कल्कि अवतार.