विदेश मंत्री एस जयशंकर अगले हफ्ते होने वाले ब्रिक्स (BRICS) के वर्चुअल समिट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. यह बैठक ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा की अध्यक्षता में होगी. समिट का मुख्य एजेंडा अमेरिका की ट्रेड और टैरिफ नीतियों से पैदा हुए व्यवधानों पर चर्चा करना है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शुक्रवार को बताया, "ब्रिक्स के ब्राजीलियाई चेयर ने 8 सितंबर को एक वर्चुअल मीटिंग बुलाई है. हमारी ओर से इसमें विदेश मंत्री शामिल होंगे. यह समिट लीडर्स स्तर पर हो रही है." इस वर्चुअल समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे और अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को लेकर विचार साझा करेंगे. ब्राजील फिलहाल ब्रिक्स का चेयर है और वही इस बैठक का नेतृत्व करेगा.
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जानकारी के मुताबिक, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला इस मुद्दे को समिट में विशेष रूप से उठाएंगे क्योंकि अमेरिका ने ब्राजीलियाई निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जैसा कि भारत के मामले में भी हुआ. गौरतलब है कि 7 अगस्त को लूला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा सहयोग को और मज़बूत करने का संकल्प जताया था.
टैरिफ विवाद पर साझा रणनीति बनाने की कोशिश
समिट का उद्देश्य अमेरिका के टैरिफ विवाद से निपटने के लिए साझा रणनीति बनाना है. माना जा रहा है कि भारत ने इस बैठक में प्रधानमंत्री के बजाय विदेश मंत्री को भेजने का निर्णय इसलिए लिया है ताकि वाशिंगटन के साथ रिश्तों में संतुलन बना रहे, क्योंकि अमेरिका ब्रिक्स के एजेंडे को लेकर पहले ही सतर्क हो चुका है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार बयान देते हुए ब्रिक्स को "डि-डॉलराइजेशन" की कोशिशों से सावधान रहने की नसीहत दी है.
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क्या है ब्रिक्स का महत्व?
ब्रिक्स की स्थापना मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने की थी. 2024 में इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हुए, जबकि 2025 में इंडोनेशिया भी इसका हिस्सा बन गया. आज ब्रिक्स दुनिया की लगभग 49.5 प्रतिशत आबादी, 40 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी और 26 प्रतिशत वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है. यही वजह है कि इसका फैसला वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल सकता है.