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कोरोना वैक्सीन के फेज 3 ट्रायल के लिए BE Ltd. को मिली मंजूरी, 1268 स्वस्थ लोगों पर होगा परीक्षण

वैक्सीन ट्रायल का तीसरा चरण भारत भर के 15 इलाकों में आयोजित किया जाएगा. इसमें 18 से 80 साल के 1268 स्वस्थ लोगों पर इसका परीक्षण कर वैक्सीन की कुशलता का मापन किया जाएगा. माना जा रहा है कि यह अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक स्तर पर फेज 3 ट्रायल होगा.  

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 18 से 80 साल के 1268 स्वस्थ लोगों पर होगा परीक्षण
  • वैक्सीन ट्रायल का तीसरा चरण भारत भर के 15 इलाकों में आयोजित किया जाएगा

हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड ने शनिवार को जानकारी दी कि उसने कोरोना वैक्सीन के पहले और दूसरे क्लिनिकल ट्रायल को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. जिसके बाद अब उसे वैक्सीन के तीसरे क्लिनिकल ट्रायल के लिए भी अनुमति मिल गयी है.

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) ने फेज 3 ट्रायल को शुरू करने के लिए कंपनी के आवेदन को मंजूरी दे दी है. नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने पिछले सप्ताह कहा था कि टीका अगस्त में कुछ समय के लिए उपयोग के लिए तैयार होने की उम्मीद है. 

जानकारी के मुताबिक वैक्सीन ट्रायल का तीसरा चरण भारत भर के 15 इलाकों में आयोजित किया जाएगा. इसमें 18 से 80 साल के 1268 स्वस्थ लोगों पर इसका परीक्षण कर वैक्सीन की कुशलता का मापन किया जाएगा. माना जा रहा है कि यह अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक स्तर पर फेज 3 ट्रायल होगा.   


वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल का अंतरिम डाटा

इससे पहले हाल ही में भारत बायोटेक और ICMR ने कोरोना की वैक्सीन, कोवैक्सीन के फेज-3 ट्रायल का अंतरिम डाटा जारी किया. जिसके मुताबिक इसकी क्लिनिकल प्रभावकारिता 78% और गंभीर COVID-19 रोग के खिलाफ 100% प्रभावकारिता है.

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हालांकि, कोवैक्सीन का ये अभी अंतरिम डाटा है, फाइनल डाटा जून तक आने के अनुमान लगाए जा रहे हैं. वहीं ICMR के नए रिसर्च से पता चला है कि देश में बनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन SARS-Cov-2 के सभी तरह के वेरिएंट्स के लिए प्रभावी है. भारत में कोरोना की नई लहर के पीछे डबल म्यूटेंट स्ट्रेन को कारण माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि कोवैक्सीन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के लिए भी प्रभावी है. 

अबतक देश में तैयार हुई एकमात्र वैक्सीन

बता दें कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन नामक कोरोना की वैक्सीन अबतक देश में तैयार हुई एकमात्र वैक्सीन है. इसकी लाखों खुराक भारत समेत दूसरे देशों में सप्लाई की जा चुकी हैं. कोवैक्सीन वायरस के नए प्रकार को भी निष्प्रभावी करने में सफल रही है. 

आईसीएमआर की स्टडी के मुताबिक, ये वैक्सीन कोरोना के यूके, ब्राजील और अफ्रीकन वेरिएंट को मात देने में कारगर है. इतना ही नहीं ये डबल म्यूटेंट के खतरे को भी दूर करती है. बात अगर वैक्सीनेशन की करें तो देश में अब तक कोरोना वैक्सीन की 13 करोड़ डोज़ दी जा चुकी हैं. इतनी डोज़ लगाने के लिए भारत ने सिर्फ 95 दिन लिए हैं, जो किसी भी देश से सबसे कम हैं.

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