सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अमेंडमेंट एक्ट 2025 पर अंतरिम आदेश जारी किया है. कोर्ट ने कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है, लेकिन पूरी तरह स्टे नहीं दिया. यह फैसला करीब 128 पन्नों का है और इसे 20 से 22 याचिकाओं पर सुनाया गया, जिन्हें 10 राजनीतिक दलों और कई एनजीओ ने दाखिल किया था.
विपक्षी दल इसे अपनी जीत बता रहे हैं, जबकि सरकार का दावा है कि कोर्ट ने उनके तर्कों को माना है.
सुप्रीम कोर्ट के वक्फ संशोधन एक्ट पर फैसले को लेकर और अन्य विषयों को लेकर आजतक ने असदुद्दीन ओवैसी से ख़ास बातचीत की है.
एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी, जो इस मामले के याचिकाकर्ताओं में शामिल थे, ने कहा कि यह फैसला व्यक्तिगत रूप से उनके लिए झटका नहीं है, बल्कि वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों के संरक्षण के लिए नुकसानदेह है.
उन्होंने कहा, “हम उम्मीद कर रहे थे कि सरकार द्वारा किए गए कई संशोधनों पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यह वक्फ प्रॉपर्टीज की सुरक्षा और अवैध कब्जों को हटाने की लड़ाई के लिए एक झटका है.”
वक्फ की संपत्ति पर मालिकाना हक का सवाल
ओवैसी ने कहा कि इस फैसले के बाद वक्फ अपनी कई प्रॉपर्टीज पर मालिकाना हक खो रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी मस्जिद या दरगाह को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) प्रोटेक्टेड मोन्यूमेंट घोषित कर दिया गया है, तो वक्फ उसका मालिक नहीं रहेगा.
उन्होंने कहा, “जब संसद में डिबेट हो रही थी, तब अचानक संशोधन लाकर कहा गया कि एएसआई प्रोटेक्टेड प्रॉपर्टी पर वक्फ का मालिकाना हक नहीं होगा. क्या यह वक्फ के लिए नुकसान नहीं है? सच्चर कमेटी ने भी माना है कि दिल्ली में करीब 130 प्रॉपर्टीज पर गलत कब्जा है, लेकिन उन्हें वापस लेने के बजाय वक्फ का हक छीना जा रहा है.”
बीजेपी पर आरोप – वक्फ संस्थाओं को कमजोर करने की साजिश
ओवैसी ने आरोप लगाया कि बीजेपी इन संशोधनों के जरिए वक्फ संस्थाओं को कमजोर करने और अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नॉन-मुस्लिम सदस्यों पर रोक नहीं लगाई, जिसके चलते अब सरकार नामित लोगों के जरिए वक्फ बोर्ड पर नियंत्रण कर सकती है.
उन्होंने कहा, बीजेपी उन लोगों को नॉमिनेट करेगी जो उनकी लाइन पर चलेंगे और वक्फ को बर्बाद करेंगे.
वक्फ बाय यूजर प्रॉपर्टीज पर विवाद
ओवैसी ने चिंता जताई कि जिन प्रॉपर्टीज पर वक्फ बाय यूजर का दावा है, उनका भविष्य अब अनिश्चित हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें रजिस्टर कराना होगा, लेकिन ओवैसी का तर्क है कि सैकड़ों साल पुरानी मस्जिदों और दरगाहों के लिए अब डीड कहां से लाया जाएगा.
उन्होंने कहा, “350 साल पुरानी मस्जिद का मालिक कौन था, इसका रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? कलेक्टर अगर सर्वे करेगा तो यह पूरा प्रोसेस विवाद और राजनीति से भर जाएगा.”
संविधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप
ओवैसी ने कहा कि यह मामला केवल संपत्ति का नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर एक मुस्लिम सांसद तक अपनी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं कर पा रहा है, तो यह आर्टिकल 25 और 29 का उल्लंघन नहीं है क्या?
उन्होंने अफसोस जताया कि सेक्युलर पार्टियां इस फैसले से खुश हो रही हैं, जबकि असल में यह अल्पसंख्यक समाज के लिए गंभीर झटका है.