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भारत में 2021-22 के बीच वायु प्रदूषण में 20 फीसदी की गिरावट, शिकागो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट

अगर प्रदूषण में यह कमी होती रहती है, तो औसत भारतीय नागरिक पिछले दशक की तुलना में नौ महीने ज्यादा जिंदा रह सकते हैं.

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भारत में वायु प्रदूषण (फाइल फोटो)
भारत में वायु प्रदूषण (फाइल फोटो)

शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) के वायु गुणवत्ता कोष की एक स्टडी से पता चला है कि भारत के वायु प्रदूषण में 2021-22 के बीच कमी आई है. भारत में 2021 के दौरान 51.3 µg/m³ वायु प्रदूषण था, जो 2022 में 41.4 µg/m³ हो गया. यह एक महत्वपूर्ण गिरावट है. 42.6 फीसदी भारतीय नागरिक ऐसे इलाकों में रहते हैं, जो 40 µg/m³ के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक से भी ज्यादा हैं.

7 साल बढ़ सकती है दिल्ली वालों की उम्र

प्रदूषण में होने वाली कमी से भारत में एक व्यक्ति की संभावित उम्र में एक साल की बढ़ोतरी होगी. अगर प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के मुताबिक हो जाता है, तो दिल्ली में रहने वाले लोगों की औसत उम्र में 7.8 साल की बढ़ोतरी हो सकती है. वहीं, उत्तर 24 परगना के नागरिकों की औसम उम्र में 3.6 साल की बढ़ोतरी हो सकती है.

तंबाकू से ज्यादा खतरनाक है वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण का असर लोगों पर तंबाकू सेवन, कुपोषण और गंदे पानी से होने वाले नुकसान से ज्यादा हो रहा है. प्रदूषण की वजह से औसत उम्र में ज्यादा कमी हो रही है. मौजूदा वक्त में वायु प्रदूषण औसत भारतीय के जीवन को 3.6 साल कम कर रहा है. वहीं, बाल और मातृ कुपोषण से उम्र में 1.6 साल की कमी होती है. तंबाकू 1.5 साल और प्रदूषित जल 8.4 महीने की कमी करता है.

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उत्तरी मैदानी इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित

उत्तरी मैदानी इलाके, जहां 540.7 मिलियन लोग रहते हैं, सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, जहां WHO के मानकों की तुलना में औसत उम्र में 5.4 साल की कमी आई है. भौगोलिक कमजोरियों के बावजूद, पुरुलिया, बांकुरा और धनबाद जैसे जिलों में प्रदूषण में 20 µg/m³ से ज्यादा की कमी के साथ अहम सुधार हुआ है.

नीतिगत सुधार हो सकते हैं बेहतर बदलाव

अगर प्रदूषण में यह कमी होती रहती है, तो औसत भारतीय पिछले दशक के प्रदूषण स्तर की तुलना में नौ महीने ज्यादा जिंदा रह सकता है. 

क्या दिख रहे हैं 'क्लीन एयर प्रोग्राम' के नतीजे?

2019 में शुरू किए गए भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP) का टारगेट 2026 तक 2017 के स्तर से प्रदूषण को 40 फीसदी तक कम करना है. 2022 तक, नामित "Non-Attainment" शहरों में प्रदूषण 18.8 फीसदी कम हो गया, जिससे 446.7 मिलियन लोगों की औसत जिंदगी में 10.8 महीने की बढ़ोतरी हुई है. "Non-Attainment" ऐसा इलाका होता है, जो एक या ज्यादा मानदंड प्रदूषकों के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) से अधिक है. भविष्य के टारगेट, अगर पूरे देश में पूरे किए जाते हैं, तो लोगों की जिंदगी में औसतन 7.9 महीने की बढ़ोतरी हो सकती है.

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हालांकि, अनुकूल मौसमी परिस्थितियों की वजह से प्रगति के ये शुरुआती संकेत एक उम्मीद की तरह देखे जा रहे हैं. लेकिन प्रदूषण नियंत्रण में लगातार कोशिश और दिशा-निर्देशों का पालन भारत की जनता के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए जरूरी है. 

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