हिमाचल प्रदेश में 25 जुलाई को बादल फटने के बाद आई भीषण बाढ़ ने इस पहाड़ी राज्य को भयानक नुकसान पहुंचाया है. बड़ी संख्या में लोगों की मौत के अलावा राज्य के 14 हाइड्रो प्रोजेक्ट को भी इस बाढ़ से भीषण क्षति पहुंची है. न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक 25 जुलाई को अचानक आई बाढ़ के कारण हिमाचल प्रदेश में कम से कम 14 जलविद्युत परियोजनाओं (हाइड्रो प्रोजेक्ट) को नुकसान हुआ है.
चूंकि अचानक बाढ़ और बादल फटने से जलविद्युत परियोजनाओं को नुकसान पहुंचने का असर समुदायों और बिजली उत्पादन दोनों पर पड़ता है. विशेषज्ञों ने ऐसी परियोजनाओं को शुरू करने से पहले आपदा जोखिम विश्लेषण करने की मांग की है. विशेषज्ञों ने मजबूत आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करने और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और बाढ़ पूर्वानुमान सिस्टम बनाने की भी सिफारिश की है.
जोखिम के विश्लेषण की मांग
साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (SANDRP) के विश्लेषण के अनुसार, कुल्लू जिले के पलचान क्षेत्र में आधी रात को "बादल फटने से अचानक आई बाढ़" के कारण दो जलविद्युत परियोजनाओं (HEPs) को काफी नुकसान हुआ है. दोनों हाइड्रो प्रोजेक्ट सेराई नदी पर (2 मेगावाट) और ब्यास नदी पर (9 मेगावाट) पर बने हुए हैं. ये पावर प्रोजेक्ट निजी कंपनियों के द्वारा संचालित हैं.
ब्यास कुंड परियोजना के प्रबंधक वियानी वर्मा ने SANDRP को बताया, 'हमने बिजलीघर की इमारत को छोड़कर सब कुछ खो दिया है.' SANDRP के भीम रावत ने कहा कि Google Earth इमेजरी से पता चलता है कि दोनों HEPs के बिजलीघर सेराई और ब्यास नदियों के सक्रिय बाढ़ क्षेत्रों में बनाए गए थे.
कई हाइड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह बर्बाद
उन्होंने कहा कि 29 जुलाई से 1 अगस्त के बीच कई बार अचानक आई बाढ़ से राज्य के कुल्लू और शिमला जिलों में 12 एचईपी को नुकसान पहुंचा है. कुल्लू जिले में ब्यास नदी बेसिन में छह परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हो गईं, जिनमें 4-मेगावाट जिरा एचईपी, 800-किलोवाट रक्सत मिनी एचईपी, 5-मेगावाट ब्रह्मगंगा एचईपी, 100-मेगावाट मलाणा 2 एचईपी और 86-मेगावाट मलाणा 1 एचईपी शामिल हैं.
अचानक आई बाढ़ ने शिमला जिले की रामपुर तहसील में सतलज नदी बेसिन के घनवी खड्ड और समेज खड्ड में सात एचईपी को भी प्रभावित किया. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 31 जुलाई-1 अगस्त को अचानक आई बाढ़ में सुमेज़ परियोजना के कम से कम आठ श्रमिकों की मौत हो गई थी.