महाराष्ट्र के वाशिम में एक बिहारी युवक की जिंदगी एक पुलिस कर्मी की मुस्तैदी से बच गई. मामला कारंजा शहर पुलिस स्टेशन का है. यहां 18 वर्षीय युवक पुलिस के पास लाया गया. यह युवक दो दिनों से जंगल में भटक रहा था, और भूखा-प्यासा और मानसिक रूप से कमजोर हालत में था.
पुलिस कॉन्स्टेबल विजय गगावने ने युवक से पूछताछ शुरू की. हालांकि युवक की बातों को समझना आसान नहीं था, क्योंकि उसकी भाषा में तोतलापन था, और मानसिक रूप से कमजोर लग रहा था... लेकिन उसने बार-बार बिहार शब्द कहा. कॉन्स्टेबल ने इसी सुराग के आधार पर युवक के परिजनों का पता लगाने की ठानी.
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विजय गगावने ने पहले गूगल लोकेशन और युवक के बताए गए संकेतों की मदद से बिहार में युवक के गांव के करीब एक दुकान का पता लगाया. इसके बाद उन्होंने फेसबुक के माध्यम से उस दुकान वाले का आईडी ढूंढा और उसे मैसेज भेजकर संपर्क किया. दुकान वाले ने अपना नंबर भेजा और वीडियो कॉल के दौरान युवक का चेहरा दिखाया गया. दुकानदार ने युवक को तुरंत पहचान लिया और बताया कि यह युवक उसके गांव के पास ही रहता है.
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इसके बाद पुलिस ने युवक के परिजनों से वीडियो कॉल पर कनेक्ट किया. जैसे ही मां और भाई-बहन ने अपने खोए हुए बेटे जयप्रकाश कुमार को देखा, वे फूट-फूट कर रो पड़े. यह पल बेहद भावुक था, क्योंकि युवक आखिरकार अपने परिवार से मिलने वाला था.
पुलिस ने युवक का मेडिकल भी करवाया और उसकी हालत ठीक होने के बाद उसे परिवार के पास भेजा गया. सलमान अंसारी नाम का व्यक्ति इस युवक को पुलिस स्टेशन लेकर पहुंचा था, उसने उसे जाते समय नए कपड़े भी दिलवाए. यह घटना पुलिस में इंसानियत और समर्पण की मिसाल बन गई.
कॉन्स्टेबल विजय गगावने अगर तत्परता और दिलचस्पी नहीं दिखाते तो शायद युवक अपने परिजनों तक नहीं पहुंच पाता. वाशिम में यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है और कॉन्स्टेबल विजय गगावने की सराहना की जा रही है.