महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले एनसीपी चीफ शरद पवार ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी उम्र 82 साल हो गई है. वह राजनीति में 50 साल से भी ज्यादा वक्त तक अपने पैर जमाए हुए हैं. वह तीन बार महाराष्ट्र सीएम रह चुके हैं. पवार कई बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं. वह रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री और उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं.
वह अभी राज्यसभा सांसद है. उनका तीन साल का कर्यकाल बचा हुआ है. वह दस साल से भी ज्यादा समय तक मुंबई क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष रह चुके हैं. वह साल 2005 से 2008 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और साल 2010 से 2012 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के भी चीफ रह चुके हैं. वह 2004 से लेकर 2014 तक मनमोहन सरकार में कृषि मंत्री थे. वह रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें साल 2017 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था.
12 दिसंबर साल 1940 को पुणे के बारामती में जन्मे पवार ने 16 साल की उम्र में 1956 में शरद पवार ने महाराष्ट्र के प्रवरनगर में गोवा की स्वतंत्रता के लिए एक विरोध मार्च निकाला था. इसी के साथ ही उन्होंने अपनी राजनीतिक की शुरुआत कर दी थी. उनके पिता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख नेता थे.
1962 में बने पुणे के युवा कांग्रेस के अध्यक्ष
1958 में पवार यूथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. युवा कांग्रेस में शामिल होने के चार साल बाद पवार 1962 में पुणे जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने. इसके बाद वह लगातार महाराष्ट्र युवा कांग्रेस में प्रमुख पदों पर रहे और धीरे-धीरे उन्होंने कांग्रेस पार्टी में अपनी जड़ें जमानी शुरू कर दी थी.
1967 में पहली बार बारामती से विधायक बने
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंत राव चौहान को शरद पवार का राजनैतिक गुरु माना जाता है. इसके बाद 1967 में 27 साल की उम्र में पवार को महाराष्ट्र के बारामती निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया गया. वह पहली बार विधानसभा चुनाव जीते. वह एक दशक तक बारामती निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतते रहे. वह एक विधायक के रूप में ग्रामीण राजनीति में ज्यादा सक्रिय थे. वह महाराष्ट्र में सूखे से संबंधित मुद्दों, सहकारी चीनी मिलों और अन्य सहकारी समितियों की राजनीतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहे.
1978 में जनता पार्टी के साथ सरकार बनाई
इमरजेंसी के बाद पवार ने इंदिरा गांधी से बगावत कर कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद पवार ने 1978 के बाद जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाई और वह पहली बार 38 वर्ष की आयु में राज्य के मुख्यमंत्री बने. वह 1978 से 1980 तक सीएम रहे. सन 1980 में सत्ता में वापसी के बाद इंदिरा गांधी सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त कर दिया. 1983 में शरद पवार ने कांग्रेस पार्टी सोशलिस्ट का गठन किया ताकि प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाकर रख सकें. इसके बाद 1988 से 1991 तक और अंत में 1993 से 1995 तक सीएम बने. 1983 में पवार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष बने और पहली बार बारामती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता.
मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, पवार को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) की स्थापना समेत महाराष्ट्र में कई महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत करने का श्रेय दिया गया. वह मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे और बांद्रा-वर्ली सी लिंक सहित राज्य में कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण के लिए भी जिम्मेदार थे.
1999 में एनसीपी का किया गठन
शरद पवार 1998 के मध्यावधि लोकसभा चुनाव के बाद विपक्ष के नेता चुने गए, लेकिन 1999 में जब 12वीं लोकसभा भंग हुई तो शरद पवार, पी ए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गंधी पर सवाल उठाया और कांग्रेस से निष्कासन के बाद नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का गठन किया. एनसीपी बहुत जल्द भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण ताकत बन गई. वह कई राज्यों और राष्ट्रीय सरकारों में कांग्रेस और बीजेपी की प्रमुख सहयोगी रही है. 1999 के महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से हाथ मिलाकर सरकार बनाई.