scorecardresearch
 

BMC चुनाव में कांग्रेस का मुस्लिम गेम बिगाड़ने का प्लान? अजित पवार ने नवाब मलिक को सौंपी कमान

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार ने नवाब मलिक को बीएमसी चुनाव कमेटी का प्रमुख नियुक्त किया है. बीएमसी चुनाव की कमान सौंपकर अजित पवार ने मुस्लिम वोटों को साधने का सियासी दांव चला है, जो कांग्रेस से लेकर सपा तक की चिंता बढ़ा सकती है?

Advertisement
X
बीएमसी चुनाव की कमान एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने नवाब मलिक को सौंपी (Photo-PTI)
बीएमसी चुनाव की कमान एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने नवाब मलिक को सौंपी (Photo-PTI)

महाराष्ट्र निकाय चुनाव का औपचारिक ऐलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन सियासी सरगर्मियां तेज हैं. मुंबई की सियासत में मुसलमानों का काफी दबदबा माना जाता है. मुंबई के कई इलाकों में मुस्लिमों के समर्थन के बिना जीत का समीकरण बनाना संभव नहीं है. ऐसे में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव के लिए मुस्लिम वोटों पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.

बीएमसी चुनाव से पहले डिप्टी सीएम अजित पवार ने नवाब मलिक पर भरोसा जताकर बड़ा सियासी दांव चला है. मुंबई में मुस्लिम मतदाताओं के सियासी समीकरण को देखते हुए अजित पवार ने बुधवार को नवाब मलिक को मुंबई चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया है.

अजित पवार ने नवाब मलिक के साथ उनकी बेटी विधायक सना शेख और पूर्व विधायक जीशान सिद्दीकी को एनसीपी की चुनाव प्रबंधन समिति का सदस्य नियुक्त किया है. इस तरह अजित पवार ने बीएमसी के चुनाव की कमान जिस तरह मुस्लिम चेहरों को सौंपी है, उससे यह साफ है कि एनसीपी की नजर किस वोटबैंक पर है.

नवाब मलिक पर अजित पवार का भरोसा

डिप्टी सीएम अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने ऐलान किया है कि बीएमसी चुनाव समिति के अध्यक्ष नवाब मलिक होंगे. इस ऐलान ने सियासी हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि बीजेपी लगातार नवाब मलिक को लेकर सवाल उठाती रही है. इसके बावजूद अजित पवार ने नवाब मलिक पर भरोसा जताया है.

Advertisement

महाराष्ट्र में महायुति की सरकार है और इस गठबंधन में बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ अजित पवार की एनसीपी भी शामिल है. ऐसे में महायुति गठबंधन साथ में बीएमसी चुनाव लड़ती है, तो चुनाव समन्वय समिति के प्रमुख होने के नाते नवाब मलिक का रोल अहम होगा. इसके अलावा नवाब मलिक मुंबई में पार्टी की चुनावी रणनीति तय करने की जिम्मेदारी होने के साथ-साथ सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग की बैठक में भी शिरकत करेंगे.

मलिक के प्रभाव का लाभ उठाने का प्लान

अजित पवार ने चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के तौर पर नवाब मलिक की नियुक्ति कर मुंबई के इलाके में उनके संगठनात्मक कौशल और राजनीतिक प्रभाव का लाभ उठाने की रणनीति मानी जा रही है. एनसीपी की चुनाव प्रबंधन समिति में जीशान सिद्दीकी और उनकी बेटी सना मलिक-शेख जैसे प्रमुख एनसीपी विधायकों के साथ-साथ मुंबई के विभिन्न जिलों के प्रमुख सदस्य और आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए हैं. इस तरह से साफ है कि एनसीपी की नजर मुंबई के मुस्लिम वोटबैंक को मजबूत करने पर है.

नवाब मलिक लंबे समय तक अणुशक्तिनगर सीट से विधायक रहे हैं और अब उनकी बेटी सना शेख एनसीपी से प्रतिनिधित्व कर रही हैं. नवाब मलिक ने 2024 का विधानसभा चुनाव मुस्लिम बहुल मानखुर्द-शिवाजीनगर क्षेत्र से लड़ा था, लेकिन सपा के अबु आसिम आजमी से जीत नहीं सके. हालांकि, मुंबई के कई मुस्लिम इलाकों में नवाब मलिक का सियासी प्रभाव है, जिसका लाभ उठाने की कवायद में अजित पवार हैं.

Advertisement

वरिष्ठ पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी कहते हैं कि अजित पवार ने मुस्लिम वोटों को साधने के लिए नवाब मलिक की बीएमसी चुनाव की कमान सौंपी है, लेकिन कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी को असहज करेगा. बीजेपी और नवाब मलिक की सियासी अदावत किसी से भी छिपी नहीं है. 

मुंबई में मुस्लिम वोटों की सियासत

महाराष्ट्र में भले ही मुस्लिम समुदाय की आबादी 12 फीसदी है, लेकिन मुंबई में 20 फीसदी से भी ज्यादा मुसलमान हैं. बीएमसी की 35 से 40 पार्षद सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं, जिसमें से 25 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं. इस तरह से मुंबई के कई इलाकों में मुस्लिमों के समर्थन के बिना जीत संभव नहीं है.

बीएमसी में कुल 227 पार्षद सीटें हैं, पिछले चुनाव में 24 मुस्लिम पार्षद जीते थे, जिसमें से 10 कांग्रेस, पांच सपा और दो एनसीपी के हैं. तीन निर्दलीय और चार अन्य पार्टियों से जीते थे. बीएमसी चुनाव में मजबूत पैठ बनाने के प्रयास से मुस्लिम वोटों को अपने-अपने पाले में करने की सियासी कवायद शुरू हो गई है.

कांग्रेस का मुस्लिम समीकरण बिगड़ेगा

मुंबई के मुस्लिम वोटरों को साथ लाए बिना कांग्रेस बीएमसी पर कब्जा जमाने की अपनी ख्वाहिश पूरी नहीं कर सकेगी. मुंबई में मुस्लिम वोटर की पहली पसंद कांग्रेस रही है. कांग्रेस अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने की हरसंभव कोशिश में जुटी है, जिसके लिए शरद पवार की एनसीपी (एसपी) के साथ भी गठबंधन कर रखा है ताकि मुस्लिम वोटों में बिखराव न हो सके. ऐसे में अजित पवार ने नवाब मलिक को बीएमसी चुनाव प्रबंधन की कमान देकर कांग्रेस के मुस्लिम वोटबैंक में सेंधमारी का खास प्लान बनाया है.

Advertisement

मुंबई में रहने वाले मुसलमानों की कुल आबादी का करीब 70 फीसदी उत्तर-भारतीय हैं, बाकी के 30 प्रतिशत में मराठी, दक्षिण भारतीय, गुजराती और दूसरे अन्य राज्यों के मुसलमान शामिल हैं. उत्तर भारतीय मुस्लिमों के सियासी समीकरण को देखते हुए अजित पवार ने बीएमसी चुनाव के लिए बनी कमेटी में जिन मुस्लिमों को जगह दी है, वो सभी उत्तर भारतीय मुस्लिम हैं. चाहे नवाब मलिक हों या फिर जीशान सिद्दीकी, उत्तर भारतीय मुस्लिम चेहरे माने जाते हैं.

मुस्लिम वोटों पर किसकी-किसकी नजर?

मुस्लिम वोटों के सहारे बीएमसी पर कब्जा करने की विपक्ष की रणनीति गठबंधन के अभाव में फेल हो सकती है. कांग्रेस से लेकर सपा और एआईएमआईएम तक मुस्लिम वोटों पर नजर लगाए हुए हैं. इसके अलावा शरद पवार की एनसीपी से लेकर अजित पवार की एनसीपी तक दावा कर रही हैं. बीजेपी और दोनों ही शिवसेना खेमा भी बीएमसी चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव खेलते रहते हैं.

राजनीतिक विश्लेषक ने बताया कि यदि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस साथ नहीं आए तो वोटों का बंटवारा निश्चित है. कुछ महीनों पहले तक मुस्लिम वोटों के लिए खतरा साबित होने वाली एआईएमआईएम को ज्यादा संकट के रूप में नहीं देखा जा रहा है. विधानसभा चुनावों में गठबंधन को लेकर अंतिम वक्त में धोखा खाई सपा इस बार बातचीत को सही मंच पर ही करने का मन बना रही है.

Advertisement

हालांकि, कांग्रेस द्वारा गठबंधन को ज्यादा तवज्जो न दिए जाने की स्थिति में विपक्षी गठबंधन होना काफी मुश्किल लग रहा है. जाहिर है कि बीएमसी के चुनाव में मुस्लिम वोटों को लेकर जिस तरह से सियासी तानाबाना बुना जा रहा है, उससे कई धड़ों में उनके बिखरने का भी खतरा है. ऐसे में देखना है कि अजित पवार का मलिक दांव कितना सफल रहता है?

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement