महाराष्ट्र में महायुति की नई सरकार बन गई है. बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. वे महाराष्ट्र के 21वें सीएम बने हैं. इसके साथ ही शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ ली है. अब मंत्रिमंडल विस्तार अगले हफ्ते यानी 12 दिसंबर तक हो सकता है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, मंत्रिमंडल बंटवारे को लेकर लगभग सहमति बन गई है. जल्द ही पोर्टफोलियो का ऐलान किया जाएगा. उन्होंने कहा, दिशा और गति वही है, बस हमारी भूमिकाएं बदल गई हैं. हम महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए फैसले लेंगे. हम अपने घोषणापत्र में बताए गए कामों को पूरा करना चाहते हैं. एक दिन पहले फडणवीस ने कहा था, मंत्रिमंडल में ज्यादा बदलाव नहीं होगा और महायुति की गठबंधन वाली सरकार में विभागों को लेकर सहमति बन गई है.
महाराष्ट्र में कुल 288 सीटें हैं और मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट में 43 मंत्री हो सकते हैं. साल 2022 में जब सत्ता का उलटफेर हुआ और महायुति की सरकार आई तो बीजेपी और शिवसेना के कैबिनेट में 10-10 मंत्री थे. इसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का नाम शामिल था. उसके बाद साल 2023 में एनसीपी भी महायुति का हिस्सा बनी तो उसे भी 9 मंत्री दिए गए थे. कैबिनेट में कुल 29 मंत्री शामिल किए गए थे. लेकिन इस बार यह संख्या बढ़ाए जाने की तैयारी चल रही है.
2019 के चुनाव में बीजेपी 105 सीटें जीती थीं और कुल 10 विधायकों को मंत्री बनाया. अब 132 विधायकों ने चुनाव जीता है. शिवसेना और एनसीपी में भी संख्याबल बढ़ा है. शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीटें हासिल की हैं. चुनाव से पहले शिवसेना के 40 और एनसीपी के 42 विधायक थे.
बड़े पोर्टफोलियो पर सबकी नजर...
एकनाथ शिंदे से लेकर अजित पवार की निगाह एक बार फिर बड़े पोर्टफोलियो पर है. बड़े मंत्रालयों को लेकर खुद शिंदे और पवार ने फडणवीस से बैठकर बातचीत के लिए कहा है. इन मंत्रालयों गृह, नगर विकास, कृषि, वित्त जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इन मंत्रालय के बंटवारे में बजट राशि और ताकत के फॉर्मूले को ध्यान में रखा जा सकता है. सीएम फडणवीस साफ कर चुके हैं कि वो गृह मंत्रालय क्यों अपने पास रखना चाहते हैं. फडणवीस कहते हैं कि महाराष्ट्र में नक्सल जैसी समस्या है. मुंबई जैसी आर्थिक राजधानी है और बड़े औद्योगिक शहर हैं. ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्रालय से लगातार कोऑर्डिनेशन रखना पड़ता है और मेरे लिए आसानी यह है कि लंबे समय से गृह विभाग देख रहा हूं और चीजें समझने में आसानी रहती है. हालांकि, फडणवीस यह भी जोड़ते हैं कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ मैं ही गृह विभाग संभाल सकता हूं. शिंदे या अजित पवार भी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.
दरअसल, 2022 में जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार बनी थी तो फडणवीस को डिप्टी सीएम और गृह मंत्रालय दिया गया था. चूंकि, फडणवीस पहले सीएम रह चुके हैं. अब फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनी है तो शिंदे गुट का दावा है कि हमें गृह मंत्रालय दिया जाए. शिंदे गुट का तर्क है कि गृह मंत्रालय को सरकार में दो नंबर की हैसियत के तौर पर देखा जाता है.
वहीं, 2023 में जब एनसीपी महायुति का हिस्सा बना था तो उनके पार्टी के 9 विधायक मंत्री बने थे. एनसीपी के खाते में कृषि, वित्त और सहकारिता जैसे बड़े विभाग आए थे. महाराष्ट्र में कृषि विभाग काफी मायने रखता है. वित्त मंत्रालय भी सरकार में रुतबेदार माना जाता है. अजित एक बार फिर वही बड़े विभाग अपने पास रखना चाहते हैं और इसके लिए वे पूरा जोर लगा रहे हैं.
नई सरकार में क्या होगी शिंदे की भूमिका?
फिलहाल, शिंदे के लिए गृह मंत्रालय हासिल करना मुश्किल लग रहा है. इससे उनके मंत्रालय को लेकर उत्सुकता भी बढ़ गई है. महाराष्ट्र की राजनीति में शिंदे की भागीदारी की काफी चर्चा है. चूंकि वे अब सरकार का हिस्सा बन गए हैं और उनका पद महत्वपूर्ण है. कैबिनेट में शिंदे की भूमिका को लेकर कई तर्क दिए जा रहे हैं. महाराष्ट्र में संभावित मंत्रियों के नामों को लेकर चर्चाएं चल रही हैं.
बीजेपी से कौन संभावित मंत्री...
- देवेंद्र फडणवीस (मुख्यमंत्री)
- राधाकृष्ण विखे-पाटिल
- सुधीर मुनगंटीवार
- चंद्रकांत पाटिल
- गिरीश महाजन
- सुरेश खाडे
- रवींद्र चव्हाण
- अतुल सावे
- मंगल प्रभात लोढ़ा
- राहुल नार्वेकर
- जयकुमार रावल
- चंद्रशेखर बावनकुले
- बबनराव लोणीकर
- पंकजा मुंडे
- देवयानी फरांदे
- किसन कथोरे
- नितेश राणे
-आशीष शेलार
- संभाजी निलंगेकर
- राहुल कुल
शिवसेना से कौन संभावित मंत्री...
- एकनाथ शिंदे (डिप्टी सीएम)
- गुलाबराव पाटिल
- दादा भुसे
- संजय राठौड़
- उदय सामंत
- तानाजी सामंत
- अब्दुल सत्तार
- दीपक केसरकर
- शंभूराज देसाई
- भारतशेठ गोगांव
- अर्जुन खोतकर
- संजय शिरसाट
- योगेश कदम
NCP से कौन संभावित मंत्री...
- अजित पवार (डिप्टी सीएम)
- धनंजय मुंडे
- दिलीप वाल्से-पाटिल
- छगन भुजबल
- हसन मुश्रीफ
- धर्मराव अत्राम
- अदिति तटकरे
- अनिल पाटिल
- राजकुमार बडोले
- माणिकराव कोकाटे
इससे पहले किसके पास कौन से मंत्रालय थे? जानिए महायुति में पहले पोर्टफोलियो कैसे बांटे गए थे.
बीजेपी के पास कौन-कौन मंत्रालय थे?
- गृह मंत्रालय
- कानून व न्याय मंत्रालय
- जल संपदा व लाभ क्षेत्र विकास मंत्रालय
- ऊर्जा मंत्रालय
- राज शिष्टाचार विभाग
- राजस्व मंत्रालय
- पशुसंवर्धन आणि दुग्ध व्यवसाय विकास
- वन मंत्रालय
- सांस्कृतिक कार्य मंत्रालय
- मत्स्य व्यवसाय विभाग
- उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्रालय
- वस्त्रोद्योग मंत्रालय
- संसदीय कार्य मंत्रालय
- आदिवासी विकास मंत्रालय
- ग्राम विकास मंत्रालय
- पंचायत राज मंत्रालय
- पर्यटन मंत्रालय
- श्रम मंत्रालय
- सार्वजनिक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम छोड़कर)
- अन्य पिछडा वर्ग और बहुजन कल्याण विभाग
- कौशल्य विकास मंत्रालय
- उद्योजकता व नवाचार
- गृह निर्माण मंत्रालय
शिंदे गुट के कौन मंत्रालय थे?
- सामान्य प्रशासन
- नगर विकास मंत्रालय
- सूचना और तकनीकी
- सूचना और जनसंपर्क
- परिवहन मंत्रालय
- सामाजिक न्याय
- पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन
- खनन कार्य मंत्रालय
- पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता
- सार्वजनिक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम)
- मृदा व जल संरक्षण मंत्रालय
- रोजगार गारंटी योजना मंत्रालय
- फलोत्पादन मंत्रालय
- उद्योग मंत्रालय
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण
- अल्पसंख्यक विकास और वक्फ मंत्रालय
- विपणन मंत्रालय
- स्कूली शिक्षा और मराठी भाषा मंत्रालय
अजित गुट के पास कौन-कौन मंत्रालय थे?
- वित्त तथा नियोजन
- कृषि मंत्रालय
- सहकारिता मंत्रालय
- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति
- चिकित्सा शिक्षा और विशेष सहायता
- खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA)
- महिला और बाल विकास
- खेल और बंदरगाह विकास
- राहत, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन
बीजेपी और शिवसेना में क्या सहमति?
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, चुनाव जीतने के बाद महायुति की पहली बैठक हुई और इस बैठक में शिंदे ने खुद स्वीकार किया था कि मुख्यमंत्री बीजेपी से होगा. हालांकि, शिवसेना के एक वर्ग का मानना था कि शिंदे को सरकार का हिस्सा नहीं होना चाहिए, बल्कि अलायंस के सुचारू संचालन के लिए कोऑर्डिनेशन कमेटी का नेतृत्व करना चाहिए.
फडणवीस ने कहा, शिवसेना के कुछ नेता चाहते थे कि मुख्यमंत्री उनकी पार्टी से हो, लेकिन हमारे मन में कोई संदेह नहीं था. मेरे शिंदे के साथ व्यक्तिगत रूप से अच्छे संबंध हैं. जब मैंने उनसे मुलाकात की तो वे उपमुख्यमंत्री बनने के लिए सहमत हो गए.
हालांकि, मंत्रालयों को लेकर खींचतान अभी तक पूरी तरह सुलझी नहीं है. सूत्रों का कहना है कि शिवसेना गृह मंत्रालय लेने पर अड़ी हुई है. फडणवीस ने कहा, शिंदे ने अभी तक कोई विभाग नहीं मांगा है और मंत्रिमंडल का विस्तार 16 दिसंबर से पहले हो जाएगा.
फडणवीस ने कहा, हम लगभग सभी विभागों पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं. गृह विभाग हमेशा बीजेपी के पास रहा है. चूंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय बीजेपी के पास है, इसलिए इससे कोऑर्डिनेशन में आसानी होती है.