महाराष्ट्र सरकार को अल्मत की स्थिति में लाने वाले 39 बागी विधायकों की राजनीतिक कुंडली अलग ही कहानी बयां करती है. ये विधायक कहने को अभी शिवसेना में हैं, खुद को हिंदूवादी भी बता रहे हैं, लेकिन असल में इनमें कई ऐसे भी हैं जो कांग्रेस और एनसीपी के साथ जुड़े रहे हैं.
अभी इस समय एकनाथ शिंदे के पास 39 शिवसेना विधायकों का समर्थन है. इस लिस्ट में 15 ऐसे विधायक हैं जिन्होंने कभी ना कभी या तो कांग्रेस या फिर एनसीपी में अपनी सेवा दे रखी है. उदाहरण के लिए महेंद्र थोरावा शिवसेना से पहले कांग्रेस में रह चुके हैं, महेंद्र डाल्वी एनसीपी में रह चुके हैं, शहाजी पाटील कांग्रेस के साथ जुड़े रहे हैं और प्रकाश सुर्वे एनसीपी में रहकर काम कर चुके हैं.
तानाजी सावंत, संजय गायकवाड, चिमनराव पाटील, दीपक केसरकर जैसे और भी कई नाम शामिल हैं जो अभी शिवसेना का हिस्सा हैं, लेकिन पहले उन पार्टियों में रह चुके हैं जिन्हें आज ये हिंदू विरोधी बता रहे हैं. अब जो शुरुआत से शिवसेना में रहा है, उसकी विचारधारा को लेकर किसी को संशय नहीं है. पार्टी भी हमेशा से ही अपने सिद्धांतों को लेकर मुखर रही है. लेकिन इस समय बागी बने ये 15 विधायक कुछ समय पहले ही शिवसेना में आए हैं. लंबे समय तक उनकी राजनीति हिंदुत्व से अलग रही है. ऐसे में अब जब वे सभी भी हिंदुत्व के नाम पर महा विकास अघाडी से अलग होने की बात करते हैं, तो इस पर सवाल उठना लाजिमी रहता है.
वैसे नंबर गेम की बात करें तो अभी महाराष्ट्र सरकार के सामने अपनी सत्ता को बचाना ही सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है. आंकड़ों के लिहाज से ये सरकार अल्पमत में जा चुकी है. अभी इस समय शिवसेना के पास 16 विधायक रह गए हैं, एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44 और अन्य के पास 12. ऐसे में उद्धव खेमे के पास सिर्फ 125 विधायकों का समर्थन है. वहीं बात अगर बीजेपी की करें तो वे बहुमत हासिल करने की स्थिति में आ सकते हैं. अगर शिंदे गुट उनका समर्थन कर देते हैं, तब बीजेपी के पास कुल विधायकों की संख्या 162 पहुंच जाएंगी जो बहुमत के आंकड़े से ज्यादा है.