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कुलियों पर लॉकडाउन की मार, यात्रियों का इंतजार, अब सरकारी मदद की दरकार

सारी दुनिया का बोझ उठाने वाले कुली इन दिनों परेशान हैं. हमेशा ट्रेन आने का इंतजार, भाग कर डिब्बों में चढ़कर यात्रियों का सामान उठाना और फिर मेहनत की कमाई को घर पर ले जाने वाले कुलियों के सामने भी अब दो जून की रोटी का संकट है.

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सूना पड़ा भोपाल स्टेशन का प्लेटफॉर्म
सूना पड़ा भोपाल स्टेशन का प्लेटफॉर्म

  • कुलियों को दो जून की रोटी के लाले
  • बुरे वक्त में सरकार से मदद की अपील

कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के कारण परिवहन के साधनों पर भी ब्रेक लगा हुआ है. कभी न थमने वाले रेल के पहिए भी थमे हुए हैं. यात्रियों से हमेशा गुलजार रहने वाले रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. इसका असर मुसाफिरों का बोझ उठाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने वाले कुलियों पर भी साफ नजर आ रहा है. कुली भी अब संकट में हैं.

सारी दुनिया का बोझ उठाने वाले कुली इन दिनों परेशान हैं. हमेशा ट्रेन आने का इंतजार, भाग कर डिब्बों में चढ़कर यात्रियों का सामान उठाना और फिर मेहनत की कमाई को घर पर ले जाने वाले कुलियों के सामने भी अब दो जून की रोटी का संकट है. जिस भोपाल रेलवे स्टेशन पर कुलियों की भागदौड़ रहती थी, वहां अब सन्नाटा पसरा है. न ही ट्रेन आ रही है और ना ही कुली.

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आमतौर पर रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले कुली इन दिनों घर पर बैठकर लॉकडाउन समाप्त होने के दिन गिन रहे हैं. आजतक की टीम भोपाल के विजय नगर पहुंची, जहां करीब 30 कुली अपने परिवार के साथ रहते हैं.

bhopal_coolie_042720111542.jpgकुलियों को पड़े खाने के लाले

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यह इलाका रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है. करीब 11 साल से भोपाल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले प्रभुलाल विजय नगर में दो कमरों के एक छोटे से मकान में अपने चार बच्चों और पत्नी के साथ रहते हैं. आजकल प्रभुलाल का ज्यादातर समय ऐसे ही परिवार के साथ बैठकर बीतता है. लेकिन ट्रेने बंद होने से कमाई बंद होने की चिंता प्रभुलाल के चेहरे पर साफ दिखती है.

प्रभुलाल बताते हैं कि इन दिनों खाने-पीने की बहुत समस्या है. पहले 300 से 400 रुपये कमा लेते थे. अब कभी कभार कोई नेता या रेलवे स्टाफ राशन और अनाज बांट देता है तो परिवार के लिए खाने का जुगाड़ हो जाता है.

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इसी मोहल्ले में रहने वाले जगदीश शिवहरे करीब 12 साल पहले ब्यावरा से भोपाल आ गए थे. तब से भोपाल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर अपना और बीवी-बच्चों का पेट पालने वाले जगदीश का कहना है कि घर का खर्च चलाना नामुमिन हो गया है.

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उन्होंने सरकार से सहायता करने की मांग की. कुलियों की समस्या को लेकर रेल कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेश तिवारी ने कहा कि भोपाल और हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर कार्य करने वाले कुलियों की तादाद लगभग 260 है.

bhopal_coolie-1_042720111606.jpgसरकार से लगाई मदद की गुहार

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उन्होंने कहा कि इनकी परेशानी को देखते हुए रेलवे ने इन्हें पार्सल की ढुलाई का काम दिया है, लेकिन यह भी कभी-कभार ही मिल पाता है. समय-समय पर राजनीतिक दलों से जुड़े लोग या स्वयंसेवी संस्थाएं इन्हें राशन उपलब्ध करवा देती हैं.

तिवारी ने कहा कि रेलवे की ओर से या अन्य लोगों की ओर से भी मदद की जा रही है. उन्होंने कुछ दिन पहले करीब 150 कुलियों को क्षेत्रीय विधायक की ओर से राशन के पैकेट बांटे जाने की जानकारी दी और कहा कि रेलवे की ओर से भी 15 दिन का राशन दिया गया था. तिवारी ने कहा कि लॉकडाउन आगे बढ़ने के कारण इनको अब और ज्यादा राशन की जरूरत है.

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