'लाउडस्पीकर और अजान का कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए इस पर बिना देरी किए तुरंत रोक लगानी चाहिए.' ये कहना है उस याचिकाकर्ता का, जिसने झारखंड हाईकोर्ट में लाउडस्पीकर से अजान दिए जाने पर रोक लगाने की मांग की है.
बुधवार को याचिकाकर्ता अनुरंजन अशोक ने हाईकोर्ट में एक पीआईएल दायर की है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण हो रहा है, इसलिए इस पर रोक लगाना जरूरी है.
पहले अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं होता था
याचिकाकर्ता अनुरंजन अशोक ने याचिका में कहा है साल 1932 से पहले तक मस्जिद से जो अजान दी जाती थी, उसमें लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जाता था. ये परंपरा बहुत बाद में शुरू की गई है. लाउडस्पीकर से अजान देने का मजहब से कोई लेना-देना ही नहीं है. इसलिए जो लाउडस्पीकर से अजान दी जाती है, उस पर बिना देर किए रोक लगनी चाहिए. इससे ध्वनि प्रदूषण पर भी रोक लगाई जा सकेगी.
नियम की अनदेखी कर हो रही है अजान
उन्होंने कहा कि आज के समय में ध्वनि प्रदूषण एक आम समस्या हो गई है. ऐसे में इस तरह के ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने की जरूरत है. दिन में 5 बार तेज आवाज के साथ अजान दी जाती है, जबकि नियम के अनुसार एक ध्वनि सीमा तय है. उससे ज्यादा तेज आवाज नहीं होनी चाहिए. अजान नियम की अनदेखी कर दी जा रही है. उन्होंने अदालत से ये भी अपील की है कि मस्जिद के अगल-बगल लोगों की जमीन और सरकारी जमीन पर जो नमाज पढ़ते हैं उस पर भी रोक लगा दी जानी चाहिए.
उत्तर प्रदेश में भी अजान को लेकर विवाद
उत्तर प्रदेश में भी लाउडस्पीकर से अजान को लेकर विवाद चल रहा है. इसी महीने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने प्रयागराज के डीएम को चिट्ठी लिखी थी कि अजान की तेज आवाज से उनकी नींद टूटती है, जिस कारण दिनभर काम प्रभावित होता है. वहीं, योगी सरकार में मंत्री आनंद शुक्ला ने भी बलिया के डीएम को लिखा है कि अजान की आवाज से बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों की सेहत पर गलत असर पड़ता है. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए.