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झारखंड में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के नाम पर घोटाले की साजिश का पर्दाफाश

मामले का खुलासा आदिवासी कल्याण आयुक्त हर्ष मंगला की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हुआ है. आवेदनों के सत्यापन के लिए कल्याण विभाग की ओर से जांच दल का गठन किया गया था. जांच दल ने राज्य के बाहर के 117 संस्थानों का भौतिक सत्यापन किया.

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पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के नाम पर घोटाले की साजिश का पर्दाफाश (फाइल फोटो)
पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के नाम पर घोटाले की साजिश का पर्दाफाश (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 543 कैंडिडेट एलिजिबल नहीं थे
  • घोटाले की साजिश का समय रहते पर्दाफाश
  • 46 संस्थानों से मांगा गया था स्पष्टीकरण

झारखंड में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के नाम पर बड़े घोटाले की साजिश का समय रहते पर्दाफाश हुआ है. आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा अधिकतम 50 हजार रुपये पोस्ट मैट्रिक छात्र और छात्राओं को दी जाने वाली स्कॉलरशिप पाने के लिए अयोग्य उम्मीदवारों के नाम और गलत तथ्य देकर घोटाले की साजिश का पर्दाफाश वक्त रहते हो गया. 543 ऐसे कैंडिडेट के नाम सामने आए हैं जो अहर्ता यानी एलिजिबल नहीं हैं.

मामले का खुलासा आदिवासी कल्याण आयुक्त हर्ष मंगला की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हुआ है.

कमेटी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों के 43 शिक्षण संस्थानों की ओर से अयोग्य छात्र-छात्राओं के लिए गलत तथ्य पेश कर स्कॉलरशिप का आवेदन दिया गया था, लेकिन भौतिक सत्यापन के दौरान साजिश की पोल खुल गई.

इन संस्थानों ने कुल 543 ऐसे छात्र-छात्राओं के पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप को अग्रसारित किया था, जो या तो स्कॉलरशिप की अहर्ता नहीं रखते थे या फिर संस्थान में इनका नाम ही नहीं था. वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान झारखंड के बाहर दूसरे राज्यों में अनुमान से अधिक नामांकन लेने वाले संस्थानों के छात्रों द्वारा ई-कल्याण पोर्टल पर छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया गया था.

खास बात है कि संबंधित संस्थानों की ओर से छात्र-छात्राओं के आवेदन को जांच के बाद अग्रसारित भी किया गया था. आवेदनों के सत्यापन के लिए कल्याण विभाग की ओर से जांच दल का गठन किया गया था. जांच दल ने राज्य के बाहर के 117 संस्थानों का भौतिक सत्यापन किया.

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3 फरवरी, 24 फरवरी और 17 मार्च 2020 को जांच पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट आदिवासी कल्याण आयुक्त को भेजी थी. इनमें से 46 संस्थान शक के दायरे में आए. इस आधार पर 46 संस्थानों से स्पष्टीकरण मांगा गया था.

19 नवंबर को कल्याण आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति ने 46 संस्थानों से आए स्पष्टीकरण की समीक्षा की. जांच के बाद 43 संस्थानों को दोषी पाया गया. इन संस्थानों को काली सूची में डालने और कल्याण पोर्टल से हटाने का आदेश जारी कर दिया गया है, जबकि 3 संस्थानों के स्पष्टीकरण की फिर से जांच होगी.

राज्य सरकार हर साल करीब ढाई लाख एसटी, एससी और पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मैट्रिक के बाद की पढ़ाई के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप देती है. इसमें कोर्स का वर्गीकरण 4 आधार पर किया गया है. कोर्स के आधार पर एक छात्र को अधिकतम 50 हजार रुपये दिए जाते हैं.

यह राशि राज्य सरकार, मिनिस्ट्री आफ ट्राईबल अफेयर्स और मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस की तरफ से दी जाती है. इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी राज्य सरकार की होती है. इसमें सबसे ज्यादा राशि राज्य सरकार देती है.

 

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