ईरान से आयी कानी शॉल बनाने की कला कश्मीर में कुछ कारीगरों में अब भी जिन्दा है लेकिन ये लगातार खत्म हो रही है. एक कारीगर ने आजतक को बताया कि ये खास शॉल बनाने में डेढ़ से दो साल का वक्त भी लग जाता है और इसे रंग बिरंगे धागों से बनाया जाता है. लेकिन इस कला को पुनर्जीवित करने की जरूरत है. इन शॉल को आने पीएम मोदी के कन्धों पर भी देखा होगा, सोनिया गांधी भी इसे पहनती हैं. देश में कई बड़े बड़े लोग इन शालों का इस्तेमाल करते हैं. ये शॉल दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं और पसंद किये जाते हैं. खत्म होती इस कला को देखते हुए जम्मू-कश्मीर के हैंडीक्राफ्ट्स डिपार्टमेंट ने इस कला को दोबारा से ज़िंदा करने के लिए कई तरह के ठोस उपाय शुरू किये हैं. देखें अशरफ वानी की ये रिपोर्ट.