हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (Hurriyat Conference) के चेयरमेन मीरवाइज उमर फारूक (Mirwaiz Umar Farooq) को फिर से नजरबंद किए जाने का दावा किया गया है. अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने एक बयान में कहा कि मीरवाइज को उनके खुत्बा (धर्म उपदेश) से पहले अधिकारियों ने नजरबंद कर दिया है. आज यानी गुरुवार को वह शहर की आली मस्जिद में बयान देने वाले थे.
हालांकि, अधिकारियों ने मीरवाइज की नजरबंदी के दावे पर कुछ कहने से इनकार कर दिया है. बता दें कि मीरवाइज को इससे पहले भी नजरबंद किया जा चुका है. पिछले साल सितंबर में उन्हें नजरबंदी से रिहा किया गया था .
अधिकारियों ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में मीरवाइज के आंदोलन पर फिर से बैन लगा दिया और उन्हें जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज सहित किसी भी मजहबी सभा में भाग लेने से रोक दिया. मीरवाइज को रमजान के महीने से एक हफ्ते पहले फिर से शुक्रवार की नमाज और अन्य धार्मिक सभाओं में भाग लेने की छूट दी गई थी.
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2019 में किया गया था हाउस अरेस्ट
मीरवाइज उमर फारूक को अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में ले लिया गया था. इसके बाद सितंबर 2023 में उन्हें रिहा किया गया. चार साल की नजरबंदी से रिहा होने के बाद उमर फारूक ने अपने अलगाववादी गठबंधन के रुख को दोहराया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए. कश्मीर के लोग समुदायों और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में यकीन रखते हैं.
इस दौरान उन्होंने कश्मीरी पंडितो का भी जिक्र किया था और कहा था कि हमने हमेशा अपने पंडित भाइयों को घाटी लौटने के लिए बुलाया है. हमने हमेशा इसे सियासी मुद्दा बनाने से इनकार किया है, यह एक मानवीय मुद्दा है.
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कौन हैं मीरवाइज उमर फारूक?
उमर फारूक, कश्मीर के अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं. उनका जन्म 23 मार्च 1973 को हुआ था. मीरवाइज, कश्मीर में काफी दिनों से चला आ रहा इस्लामी धर्मगुरुओं का एक ओहदा है. श्रीनगर की जामा मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज ही होते हैं. उमर फारूक के पिता मौलवी फारूक की हत्या होने के बाद 17 साल की उम्र में ही उन्हें मीरवाइज बनाया गया था. बता दें कि उमर फारूक को टाइम मैग्जीन के द्वारा एशियाई हीरोज की लिस्ट में भी शामिल किया जा चुका है.