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कश्मीर में नायकू ने तीन बार सुरक्षा बलों को दिया चकमा, इस बार हुआ ढेर

इस संयुक्त ऑपरेशन के बारे में एक अधिकारी ने आजतक को बताया कि संयुक्त टीम ने उस घर को प्वॉइंट किया जहां नायकू छिपा था. इससे पहले संयुक्त टीम ने उस घर के आसपास के सारे रास्ते बंद किए, जिससे उसके बच भागने की संभावना थी.

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हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू की फाइल फोटो (PTI)
हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू की फाइल फोटो (PTI)

  • जाकिर मूसा के बाद नायकू ने थामी थी हिज्बुल की कमान
  • कई हत्याएं, फिरौती जैसे अपराध में पुलिस को थी तलाश

जम्मू-कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन का कमांडर रियाज नायकू बुधवार को एक मुठभेड़ में मारा गया. इस कार्रवाई में एक संयुक्त टीम ने हिस्सा लिया जिसमें भारतीय सेना, सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हिस्सा लिया.

हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू बुधवार को घाटी में भले मारा गया लेकिन सेना को उसकी तलाश लंबे दिनों से थी. कई बार सुरक्षा बलों से उसका सामना भी हुआ लेकिन स्थानीय लोगों की मदद से वह भाग निकला. नायकू पिछले 8 साल से सुरक्षा बलों और पुलिस को चकमा देकर बच रहा था. हालांकि बुधवार को जॉइंट टीम को बड़ी सफलता हाथ लगी और कश्मीर के पुलवामा जिले में उसे मार दिया गया.

नायकू के माथे पर 12 लाख रुपये का इनाम घोषित था. तीन बार वह पुलिस की नजर से भागा, कई बार ऐसा भी हुआ कि उसकी मदद में स्थानीय लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और वह इसकी आड़ में भाग निकला. इस बार ऐसा नहीं हुआ और संयुक्त टीम ने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि नायकू को मारने की कोशिश में आम लोगों को कोई नुकसान ना हो. लिहाजा, जिस गांव में वह छिपा था, वहां से पब्लिक को पहले निकाला गया. उसके बाद जिस घर में नायकू छिपा था, उस पर कार्रवाई की गई.

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इस संयुक्त ऑपरेशन के बारे में एक अधिकारी ने आजतक को बताया कि संयुक्त टीम ने उस घर को प्वॉइंट किया जहां नायकू छिपा था. इससे पहले संयुक्त टीम ने उस घर के आसपास के सारे रास्ते बंद किए, जिससे उसके बच भागने की संभावना थी. जाहिर बात है कि सुरक्षा बलों की टीम पिछली तीन गलतियों को हरगिज नहीं दोहराना चाहती थी जिससे नायकू बच निकला था. मोर्चे पर आर्मी की टीम जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ आगे बढ़ी और नायकू से लोहा लिया.

रियाज नायकू कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन का चीफ ऑपरेशनल कमांडर था. 2012 में उसने यह पद पाया. जाकिर मूसा ने जब हिज्बुल का साथ छोड़कर अंसार गजवत नाम का आतंकी संगठन बनाया, उसके बाद नायकू को हिज्बुल की कमान मिली. पिछले साल सुरक्षा बलों ने जाकिर मूसा को भी ढेर कर दिया है.

नायकू ने पुलिसकर्मियों, सुरक्षाबलों और आम लोगों पर कई हमले किए थे. उसने आम लोगों को पुलिस/सुरक्षाबलों के मुखबीर बता कर कई जघन्य हत्याएं कीं. आतंकी संगठन चलता रहे और उसका खर्च जुटता रहे, इसके लिए उसने कई बागान मालिकों को लूटा. यहां तक कि दक्षिण कश्मीर में डोडा-पोस्त की खेती करने वालों से उसने फिरौती वसूली. उसने भांग उगाने वाले लोगों को भी नहीं छोड़ा. कई हत्याएं या अपराधों में वह सीधे तौर पर शामिल रहा, जिसकी वजह से पुलिस को उसकी बड़ी गंभीरता से तलाश थी.

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