मोदी सरकार ने 5 अगस्त को संसद में बिल लाकर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था. केंद्र सरकार ने तब इस फैसले को आतंकवाद पर प्रहार बताया था. अब आतंकी बनने वाले युवकों की संख्या से जुड़े आंकड़े सरकार के तर्क पर मुहर लगाते नजर आ रहे हैं.
सेना के दावों के मुताबिक 05 अगस्त से अब तक लगभग चार महीने में महज 14 युवा ही आतंकी बने हैं. पहले हर महीने 12 से 13 युवा आतंकी बनते थे. सेना के सूत्रों ने बताया कि पिछले चार महीनों में आतंकियों की भर्ती में नाटकीय रूप से गिरावट आई है. यह पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है. पिछले साल 214 युवक आतंकी बने थे. इस वर्ष नवंबर तक 110 युवक आतंकी बने हैं.
अधिकारियों की मानें तो पाकिस्तान ने आतंक को हवा देने का पुरजोर प्रयास किया और आतंकियों की भर्ती का प्रयास किया लेकिन इंटरनेट बाधित होने के कारण यह मंसूबा प्रभावित हुआ. सेना के एक अधिकारी ने बताया कि सेना पर पत्थरबाजी करने के लिए उकसाने को पहले सोशल मीडिया और वॉट्सएप का उपयोग किया जाता था. यह आतंकियों की भर्ती के लिए भी महत्वपूर्ण टूल बन गया था.
हजारों लोगों को अगस्त से ही डिटेंशन में रखा गया, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती के साथ ही कई नेता और वह लोग भी थे, जो जनता को मोबिलाइज कर सकते थे. इसके अलावा पिछले कुछ महीनों में कई आतंकियों को मार गिराया गया. घाटी में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (सीएपीएफ) के जवानों की संख्या भी बढ़ाई गई. इससे भी मदद मिली.
आतंकी हमलों में मारे गए 17 नागरिक
पिछले कुछ महीनों में आतंकियों ने हमले की रणनीति में भी बदलाव किया है. आतंकियों ने हमलों में आम नागरिकों को भी निशाना बनाया. 5 अगस्त से अब तक आतंकी हमलों में 17 नागरिक मारे जा चुके हैं. इसमें कुछ स्थानीय हैं, तो कुछ कश्मीर में काम करने वाले बाहरी मजदूर भी शामिल हैं.