ईद मिलाद उन-नबी के मौके पर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सुरक्षा को मुस्तैद किया गया है. श्रीनगर के हज़रत बल श्राइन के बाहर कई तरह तरह पाबंदियां लगाई गई हैं. इन पाबंदियों को लगाने के पीछे लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन रखने का तर्क दिया गया है.
गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही घाटी में सुरक्षा व्यवस्था का काफी ध्यान रखा जा रहा है. ऐसे में किसी भी घटना से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. इससे पहले ईद के अवसर पर भी भीड़ वाले इलाकों के लिए खास तैयारी की गई थी.
मान्यता है कि श्रीनगर की इस हजरतबल श्राइन में पैगंबर मोहम्मद के कुछ अवशेष हैं, इसी वजह से यहां पर हर बार हजारों की संख्या में लोग आते हैं. 5 अगस्त के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में धारा 144 लगा दी गई थी, हालांकि अब अधिकतर जगहों से इसे हटा दिया गया है.
घाटी में बर्फबारी से मुश्किल भरे हालात
बीते दिनों कश्मीर घाटी में जबरदस्त बर्फबारी हुई, जिसकी वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कश्मीर के कुछ इलाकों में बिजली नहीं है, रास्ते बंद हैं जिससे आमजन पर काफी असर पड़ रहा है. 7 नवंबर को हुई बर्फबारी को पिछले काफी वर्षों में हुई सबसे भारी बर्फबारी माना जा रहा है.
Srinagar in Jammu and Kashmir received snowfall last night pic.twitter.com/9Oy9UBgmGE
— ANI (@ANI) November 10, 2019
शोपियां के रहने वाले अब्दुल क्य्यूम का कहना है कि मैं 53 साल का हूं, लेकिन नवंबर महीने में ऐसी बर्फबारी उन्होंने कभी नहीं देखी है. इस बार की बर्फबारी में 80 फीसदी से ज्यादा सेब के पेड़ बर्बाद हो गए हैं, जो किसानों के लिए काफी मुश्किल है.
गौरतलब है कि इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाया जाता है. पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन की खुशी में यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है.