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पीर पंजाल की पहाड़ियां, 170 KM का जंगल... कोकरनाग की गुफाओं में आतंकियों के सफाए का 'ऑपरेशन गैरोल'

अनंतनाग के कोकेरनाग में आतंकियों के खिलाफ जारी ऑपरेशन का आज छठा दिन है. सुरक्षाबलों ने एक आतंकवादी का शव बरामद कर लिया है. अब दूसरे आतंकियों के शवों की तलाश जारी है. आइए जानते हैं कि कोकरनाग में आतंकियों को खत्म करने में सेना को छह दिन का समय क्यों लगा?

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कोकरनाग में सेना का 'ऑपरेशन गैरोल' (फोटो- पीटीआई)
कोकरनाग में सेना का 'ऑपरेशन गैरोल' (फोटो- पीटीआई)

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के कोकरनाग में आतंकियों के साथ चल रहे एनकाउंटर का आज छठा दिन है. जंगलों और पहाड़ियों पर छिपे आतंकियों पर सेना ने ड्रोन और रॉकेट लॉन्चर से बम बरसाए थे. आतंकियों की ओर फायरिंग आज सुबह फिर शुरू हो गई है. सुरक्षाबलों ने आज एक आतंकवादी का जला हुआ शव भी बरामद कर लिया है. 

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शरीर पर कपड़ों के पैटर्न के आधार पर सुरक्षाबल के जवानों का मानना है कि जला हुआ शव आतंकवादी का ही है. सुरक्षाबलों ने आज सुबह ही आतंकियों के शवों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान शुरु किया था, जिन्हें ड्रोन के जरिए दूसरी जगहों पर देखा गया था. इससे पहले रविवार को इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच भीषण गोलीबारी हुई थी. हालांकि आज सुबह से आतंकियों की ओर से फायरिंग नहीं हुई.  

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चुनौतीपूर्ण है कोकरनाग की भौगोलिक स्थिति 

दरअसल कोकरनाग जैसे जंगली इलाकों में ऑपरेशन को अंजाम देना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है. यहां की भौगौलिक स्थितियां ऐसी हैं कि आतंकियों के पास आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता है. इसीलिए आतंकियों के ठिकाने को निशाना बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. ड्रोन के साथ-साथ हेलिकॉप्टर का भी इस्तेमाल भी हुआ है. सेना के हेलीकॉप्टर इस इलाके की निगरानी कर रहे हैं, ताकि आतंकियों का पता लगाया जा सके. 

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पीर पंजाल की पहाड़ियों पर चल रहा ऑपरेशन 

रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि अनंतनाग के कोकरनाग इलाके में मुठभेड़ वाली जगह पीर पंजाल की पहाड़ियों में आती है. ये मुजफ्फराबाद से किश्तवाड़ तक फैला हुआ करीब 170 किलोमीटर का इलाका है. इतने बड़े इलाके में 2-3 आतंकियों को ढूंढ़ना बहुत मुश्किल है. यही वजह है कि सुरक्षाबलों को इतनी परेशानी हो रही है. ये आतंकियों के लिए बहुत ही सुरक्षित जगह है. ये पहाड़ी 75-80 डिग्री ऊंचाई पर है. यहां कई गुफाएं भी हैं, जिनमें आतंकियों ने अपना अड्डा बनाया हुआ है. ऐसे हालात में वे सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला कर सकते हैं. आतंकी जब पहाड़ों की ऊंचाई पर रहते हैं तो उन्हें भारतीय सेना की एक्टिविटी आसानी से दिखाई देती है. इसलिए उनके लिए यह लड़ाई आसान हो जाती है.  

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संगठनों के नाम बदलना आतंकियों की रणनीति  

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी रहे एसपी वैद्य ने बताया कि पाकिस्तान समय-समय के हिसाब से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को लेकर अपनी रणनीति बदलता रहता है. पहले लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद संगठनों ने अपना कैडर फैलाया. हाल ही में द रेजिस्टेंस फ्रंट और कश्मीर फाइटर्स जैसे संगठनों का नाम सामने आ रहा है. उन्हें पता है कि जैश और लश्कर दुनिया में बदनाम हो चुके हैं. इसलिए ये प्रॉक्सी नाम रखकर अपनी एक्टिविटी करते हैं. 

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12 सितंबर को सेना ने शुरू किया था ऑपरेशन 

सुरक्षाबलों ने कोकरनाग में आतंकियों के खिलाफ ये ऑपरेशन 12 सितंबर को शुरू किया था, जिसके अगले दिन मुठभेड़ में सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट शहीद हो गए थे. इसके बाद आतंकी वहां से भाग गए थे. इन्हीं आतंकियों की तलाश के लिए यह ऑपरेशन चलाया गया है. बताया गया कि इन आतंकियों में एक लश्कर-ए-तैय्यबा का कमांडर उजैर खान भी शामिल था. 

'ऑपरेशन गैरोल' नाम क्यों रखा गया? 

दरअसल आतंकी जिस इलाके में छिपे हुए हैं, वह कोकरनाग का गैरोल गांव है. इसी वजह से सेना ने इसका नाम 'ऑपरेशन गैरोल' दिया है. 

बारामूला में तीन और राजौरी में एक आतंकी ढेर 

इसके अलावा बारामूला में सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में तीन आतंकियों को ढेर कर दिया था. ये आतंकी उरी सेक्टर में LoC के पास घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे, जिसे नाकाम कर दिया गया था. इसके अलावा राजौरी में बीते मंगलवार को सुरक्षाबलों की मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया था. इसमें सेना का एक जवान और फीमेल लेब्रोडोर डॉग केंट की मौत भी हो गई है. 

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