केंद्र शासित प्रदेश बन चुके जम्मू कश्मीर में आम जन-जीवन पूर्ण रूप से पटरी पर लौटने की कागार पर है. इस बीच अमेरिका समेत 16 देशों के राजनयिक गुरुवार यानी 9 जनवरी को कश्मीर के आधिकारिक दौरे पर जा रहे हैं. इस दौरे से कश्मीर को लेकर पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार को खत्म करने में मदद मिलेगी. हालांकि, इन देशों में यूरोपियन यूनियन शामिल नहीं होगा.
यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधियों ने कश्मीर में किसी भी प्रकार के गाइडेड टूर के लिए इनकार कर दिया है. जानकारी के मुताबिक यूरोपीय संघ के देशों के प्रतिनिधियों ने अभी कश्मीर न जाकर आने वाले दिनों में केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करने की बात कही है.
यूरोपीय संघ के देशों की तरफ से कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मुलाकात करने की इच्छा जताई है. यही कारण है कि उन्होंने वर्तमान दौरे के लिए इनकार कर दिया है.
अधिकारियों के मुताबिक ब्राजील के राजनयिक आंद्रे ए कोरिये डो लागो के भी जम्मू कश्मीर का दौरा करने का कार्यक्रम था. लेकिन उन्होंने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते इस दौरे पर नहीं जाने का फैसला किया.
सरकार की ओर से भेजे जा रहे इस दल में बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरोक्को, नाइजीरिया और अमेरिका समेत 17 देशों के राजनयिक शामिल हैं. जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा पिछले वर्ष समाप्त किये जाने के बाद राजनयिकों का यह पहला दौरा होगा. ये कश्मीर में उपराज्यपाल जी सी मर्मू के साथ ही वहां के स्थानीय लोगों से भी मुलाकात करेंगे.
इस दौरे पर जा रहे प्रतिनिधियों को विभिन्न एजेंसियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी जाएगी. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कई देशों के राजनयिकों ने भारत सरकार से अनुरोध किया था कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटने के बाद की स्थिति का जायजा लेने के लिए कश्मीर का दौरा करने की अनुमति दी जाए.
इससे पहले दिल्ली के एक थिंक टैंक द्वारा यूरोपीय संघ के 23 सांसदों के शिष्टमंडल को जम्मू कश्मीर का दो दिवसीय दौरे पर ले जाया गया था. हालांकि, इस दौरे को लेकर उपजे विवाद के बाद सरकार ने इसे निजी दौरा बताया था. ऐसे में किसी भी दूसरे देशों के राजनयिकों का कश्मीर में यह पहला आधिकारिक दौरा होगा.