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आर्टिकल 35A विवाद के बीच क्या राज्यपाल एन.एन. वोहरा का हटना तय है?

सूत्रों के मुताबिक करीब 10 साल से राज्य में गवर्नर पद पर विराजमान एन.एन. वोहरा को बाहर जाने का संकेत दे दिया गया है. यह तय माना जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा के समापन के बाद राजभवन में किसी नए व्यक्ति का प्रवेश होगा.

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जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. वोहरा (फोटो: PTI)
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. वोहरा (फोटो: PTI)

संविधान के अनुच्छेद 35A विवाद के बाद अब जम्मू-कश्मीर में यह चर्चा शुरू हो गई है कि राज्यपाल एन.एन. वोहरा का हटना तय है. कहा जा रहा है कि करीब 10 साल से जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे वोहरा को अंतत: अपना बोरिया-बिस्तर समेटने को कह दिया गया है और वह अमरनाथ यात्रा के बाद विदा हो जाएंगे.

करीब ढाई महीने पहले ही राज्य की सत्ता पूरी तरह से वोहरा के हाथ में आ गई थी, जब पीडीपी-बीजेपी में मतभेद के बाद गठबंधन सरकार 19 जून को गिर गई थी. कहा जा रहा है कि गवर्नर वोहरा ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि आर्टिकल 35-ए की संवैधानिक वैधता पर 6 अगस्त को होने वाली सुनवाई टाल दी जाए. इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें हटाने का मन बना लिया.

श्रीनगर और जम्मू के कई सूत्र यह दावा कर रहे हैं कि अमरनाथ यात्रा के बाद राजभवन में किसी नए व्यक्ति का आना तय है.

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35A को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. अगली सुनवाई अब 27 अगस्त को होगी. इस सुनवाई पर घाटी के लोगों के साथ-साथ पूरे देश की नज़रें हैं. 35A के मुद्दे पर सुनवाई के बीच अलगाववादियों ने दो दिन का बंद बुलाया है, जिसका आज दूसरा दिन है.

अलगाववादियों के दो दिन के बंद के बीच राज्य में कई जगह रैलियां और प्रदर्शन हुए. इसके चलते एहतियातन राज्य में अमरनाथ यात्रा स्थगित कर दी गई.

राज्य के रामबन, डोडा और किश्तवाड़ में अनुच्छेद 35 ए के समर्थन में आंशिक हड़ताल और शांतिपूर्ण रैलियां हुईं. विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने अनुच्छेद 35 ए को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिए जाने के खिलाफ दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया था.

राज्य में नेशनल काॅन्फ्रेंस, पीडीपी, माकपा और कांग्रेस की राज्य इकाई सहित राजनीतिक दल और अलगाववादी अनुच्छेद 35 ए पर यथास्थिति बनाए रखने की मांग कर रहे हैं.

क्या है अनुच्छेद 35A?

अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है. इसके तहत दिए गए अधिकार 'स्थाई निवासियों' से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें.

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14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया.

अनुच्छेद 35A, असल में धारा 370 का ही हिस्सा है. इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न तो संपत्ति खरीद सकता है और न ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है.

(Mail today से साभार)

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