scorecardresearch
 

गुजरात: सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों की हड़ताल, अर्धनग्न होकर किया विरोध प्रदर्शन

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने गुरुवार को कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि जल्द ही सरकार उनकी मांगों को पूरा करेगी, लेकिन आज यानी शुक्रवार को दूसरे दिन भी स्टेट ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर ही रहे.

Advertisement
X
कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन (फोटो-गोपी घांघर-aajtak.in)
कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन (फोटो-गोपी घांघर-aajtak.in)

गुजरात में सड़क परिवहन निगम के हजारों कर्मचारी वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर शुक्रवार को दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे. कर्मचारियों की हड़ताल के चलते करीब आठ हजार बसों के पहिये थम गए. स्टेट ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें सातवें वेतन आयोग के मुताबिक तनख्वाह दी जाए. कर्मचारियों का कहना है कि ज्यादातर लोग एक सा काम करते है, बावजूद इसके सभी कर्मचारियों की तनख्वाह अलग-अलग है.

कर्मचारियों का कहना है कि लंबे समय से वेतन में बढ़ोतरी की मांग को अभी तक पूरा नहीं किया गया है. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने गुरुवार को कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि जल्द ही सरकार उनकी मांगों को पूरा करेगी, लेकिन आज यानी शुक्रवार को दूसरे दिन भी स्टेट ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर ही रहे. हड़ताली कर्मचारियों ने गुजरात के अलग-अलग बस अड्डो पर हंगामा किया.

Advertisement

स्टेट ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल के चलते लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. दरअसल, स्टेट ट्रांसपोर्ट के कर्मचारियों ने प्राइवेट बसों के मालिक को भी बस ना चलने का दबाव बनाया. जिसकी वजह से लोगों को बेहद परेशानी हुई. जामनगर जिले में एसटी विभाग के कर्मचारियों ने अर्धनग्न होकर विरोध प्रदर्शन किया तो वहीं राजकोट में कर्मचारियों ने अपने सर का मुंडन करवाया.

वहीं संतरामपुर में कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री विजय रुपानी की अंतिम यात्रा निकालकर अपना विरोध प्रदर्शित किया. हालांकि कर्मचारियों की इस हड़ताल का सबसे ज्यादा खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ा. अहमदाबाद से भावनगर जाने वाले छात्र-छात्राएं ज्यादा परेशान हुए. कर्मचारी अड़े हुए हैं कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तो वो हड़ताल पर ही रहेंगे. हालांकि सरकार की उन्हें सांत्वना देने की कोशिश की लेकिन  कर्मचारी मानने को तैयार नहीं हैं.

गौरतलब है कि गुरुवार को मुख्यमंत्री ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी मुख्य मांग सातवें वेतन आयोग को लागू करना है. हमने लाभकारी लोक उद्यमों के कर्मचारियों को सातवां वेतन आयोग दिया है. जीएसआरटीसी भारी घाटे में है इसलिए इसके कर्मचारियों को समान लाभ नहीं मिल सकता. मुख्यमंत्री ने कहा, मैं उनसे तुरंत प्रदर्शन खत्म करने का अनुरोध करता हूं क्योंकि इससे राज्य के लोग प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कर्मचारियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वेतन बढ़ोतरी की उनकी मांग के बारे में उचित समय पर फैसला होगा.

Advertisement
Advertisement