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20 साल में सिर्फ दो ASI संरक्षित स्मारकों से हटा अतिक्रमण... दिल्ली के सात ऐतिहासिक स्थलों पर अब अवैध कब्जा

ASI के अनुसार, 2023-2024 के दौरान निजामुद्दीन स्थित बाड़ा पुला पुल और दक्षिण-पूर्व दिल्ली के तुगलकाबाद किले को अतिक्रमणमुक्त किया गया. बाड़ा पुला पुल को 2024 में और तुगलकाबाद किले को 2023 में कब्जामुक्त कराया गया. इन दोनों स्थलों से अतिक्रमण हटाना विरासत संरक्षण के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है, खासकर तब जब दिल्ली में शहरीकरण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है.

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सिर्फ दक्षिण-पूर्व दिल्ली के तुगलकाबाद किले और निजामुद्दीन स्थित बारापूला अतिक्रमण मुक्त किया गया है
सिर्फ दक्षिण-पूर्व दिल्ली के तुगलकाबाद किले और निजामुद्दीन स्थित बारापूला अतिक्रमण मुक्त किया गया है

राजधानी दिल्ली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत संरक्षित कुल स्मारकों में से केवल दो को ही पिछले 20 वर्षों में अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है, जबकि सात अन्य स्मारक अब भी अवैध कब्जों और अनधिकृत निर्माणों से घिरे हुए हैं. यह जानकारी ASI दिल्ली सर्कल द्वारा आजतक की एक आरटीआई के जवाब में दी गई है.

ASI के अनुसार, 2023-2024 के दौरान निजामुद्दीन स्थित बारापूला और दक्षिण-पूर्व दिल्ली के तुगलकाबाद किले को अतिक्रमण मुक्त किया गया. बाड़ा पुला पुल को 2024 में और तुगलकाबाद किले को 2023 में कब्जामुक्त कराया गया. इन दोनों स्थलों से अतिक्रमण हटाना विरासत संरक्षण के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है, खासकर तब जब दिल्ली में शहरीकरण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है.

अब भी अतिक्रमण की चपेट में हैं ये 7 ऐतिहासिक स्थल:

1. अतगा खां का मकबरा- निजामुद्दीन गांव
2. बेगमपुरी मस्जिद- बेगमपुर गांव
3. म्युटिनी कब्रिस्तान (मॉरिस नगर)- पुराना राजपुर कैंटोनमेंट
4. डी'एरेमाओ कब्रिस्तान- किशनगंज रेलवे स्टेशन के पास
5. दिल्ली गेट और कोटला फिरोजशाह परिसर. इसमें दीवारें, बुर्ज, दरवाज़े, बाग-बगीचे, पुरानी मस्जिद और अन्य खंडहर शामिल हैं.
6. कश्मीरी गेट और आसपास की शहर की दीवार. मोरी गेट से लेकर वॉटर बास्टियन तक फैली दीवार और उसका खंदक.
7. तुगलकाबाद किले की भीतरी और बाहरी परकोटे की दीवारें, बुर्ज, द्वार और आंतरिक इमारतें.

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20 साल से पुराने रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं किए जा सकते: ASI

ASI ने यह भी बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(3) के तहत 20 वर्ष से पुराने रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं किए जा सकते, जिससे पुरालेखीय आंकड़ों तक आम नागरिक की पहुंच सीमित रहती है. यह रिपोर्ट दिल्ली में विरासत संरक्षण को लेकर मिली आंशिक सफलताओं और अब भी जारी संघर्ष को उजागर करती है. तेजी से फैलते शहरी इलाकों और निर्माण परियोजनाओं के बीच ASI के लिए इन ऐतिहासिक धरोहरों को बचाना लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है.

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