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दिल्ली की हवा में हैं कैंसर पैदा करने वाले खतरनाक पदार्थ: ग्रीनपीस

ग्रीनपीस इंडिया द्वारा जारी एक वैज्ञानिक विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है कि दिल्ली में पीएम 2.5 कणों में खतरनाक धातु हैं.

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दिल्ली में 15 दिनों तक चला ऑड इवन का ट्रायल
दिल्ली में 15 दिनों तक चला ऑड इवन का ट्रायल

दिल्ली में वायु प्रदूषण पर रोक के लिए अरविंद केजरीवाल की सरकार का ऑड इवन फॉर्मूला कितना कामयाब रहा, इसको लेकर समीक्षा किया जाना अभी बाकी है. लेकिन उससे पहले गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि राजधानी की हवा में कैंसर पैदा करने वाले खतरनाक धातुओं की मात्रा मौजूद है. खास बात यह है कि इसके लिए स्कूलों से सैंपल लिए गए थे.

ग्रीनपीस इंडिया द्वारा जारी एक वैज्ञानिक विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है कि दिल्ली में पीएम 2.5 कणों में खतरनाक धातु हैं. गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में दिल्ली के स्कूलों को शामिल किया गया. अक्टूबर-नवंबर 2015 के दौरान इन स्कूलों में 24 घंटे वायु गुणवत्ता की निगरानी करके पीएम 2.5 के नमूनों को एकत्रित किया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक, एकत्रित पीएम 2.5 के विश्लेषण से यह पता चला है कि उसमें खतरनाक स्तर पर भारी धातु जैसे निकेल, आर्सेनिक, कैडमियम हैं जो कैंसर कारक और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं. यह अध्ययन पीएम 2.5 में शामिल घटकों को पता करने के लिए किया गया था.

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क्लासरूम में लगाए गए मॉनिटर
एनजीओ का कहना है कि इसके लिए स्कूलों के क्लासरूम में मॉनिटर लगाए गए और डेटा जुटाए गए. बताया जाता है कि इस तरह पांच नमूनों में शामिल भारी धातु भारत सरकार द्वारा जारी एहतियाती मानकों से 5 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक स्तर से 11 गुना ज्यादा है.

पीएम 2.5 में पाए गए भारी धातु जैसे सीसा और मैंगनीज न्योरटैक्सिक हैं, जो खासकर बच्चों के ज्ञान संबंधी विकास को प्रभावित करते हैं. दूसरी तरफ कैडियम, निकेल और क्रोमियम कैंसरकारक धातु हैं, जिससे मानव में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

बच्चों को कैंसर का खतरा!
ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, 'रिपोर्ट में आए तथ्य से पता चलता है कि स्कूली बच्चे उन खतरनाक धातुओं की चपेट में है, जिसकी वजह से बच्चों में कैंसर और उनके विकसित होने की समस्या का खतरा उत्पन्न होता है. इन कणों की सांद्रता जितनी अधिक होगी, प्रदूषण में निहित भारी धातुओं की मात्रा भी उतनी ही अधिक बढ़ेगी. इन कणों का सबसे बड़ा कारण जीवाश्म ईंधन (कोयला और तेल) का ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में किया जा रहा इस्तेमाल है.'

इसी तरह के एक और अध्ययन में भारतीय और सिंगापुर के विशेषज्ञों द्वारा वायुमंडलीय प्रदूषण अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि पीएम 2.5 में कैडियम और लीड औद्योगिक उत्सर्जन की वजह से आती है, वहीं लीड और जिंक कोयला तथा अलौह धातु गलाने-जलाने की वजह से उत्पन्न होते हैं.

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तत्काल योजना बनाने की जरूरत
एनजीओ का कहना है कि दिल्ली में स्कूली बच्चों को वायु प्रदुषण की जद में आने से बचाने के लिए तत्काल योजना बनाने की जरुरत है. इसमें अधिक वायु प्रदुषण वाले दिन स्कूलों को बंद करने से लेकर बच्चों के बाहरी गतिविधियों को रोकने जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं.

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