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दिल्ली की सांसों में घुला जहर, नेता सियासी लड़ाई में उलझे... हर साल वही समस्या-सॉलुशन का कुछ पता नहीं!

दिल्ली की हवा में घुला जहर लगातार बढ़ता जा रहा है और अब ये इस कदर खतरनाक हो गया है कि स्कूल बंद करने की नौबत आ गई है. इस बीच आज प्रदूषण की समस्या पर खूब सियासी बयानबाजी हुई. दिल्ली के LG ने पंजाब के सीएम को पत्र लिखा, तो भगवंत मान ने पलटकर इसका जवाब दिया.

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दिल्ली में प्रदूषण की मार (फोटो- पीटीआई)
दिल्ली में प्रदूषण की मार (फोटो- पीटीआई)

दिल्ली की दम घोंट देने वाली हवा ने हेल्थ इमरजेंसी जैसी हालत पैदा कर दी है. हवा की जिस गुणवत्ता को 50 पर होना चाहिए था आज वो आंकड़ा 485 तक पहुंच गया था. आज दिल्ली के जहांगीरपुरी में एयर क्वालिटी इंडेक्स 485 रिकॉर्ड किया गया. इस बीच दिल्ली सरकार ने राजधानी में बच्चों की स्कूलें बंद कर दी है. दिल्‍ली में  5 नवंबर से प्राइमरी स्‍कूल बंद होंगे. इसके अलावा कक्षा 5वीं के ऊपर की क्‍लासेज के लिए आउटडोर एक्टिविटीज पर रोक लगा दी गई है. 

प्रदूषण रोकने के लिए आज दिल्ली में एक साथ कई राजनीतिक गतिविधियां हुई. ब्लेम गेम का खेल चला, लेकिन पराली जलने से रोकने के लिए क्या पुख्ता कदम उठाए जाएं, इसका कोई उचित समाधान हर बार की तरह इस बार भी नहीं निकल सका. 

दिल्ली में आज जब AQI 500 तक चला गया तो सीएम केजरीवाल को गुजरात और MCD की चुनावी गतिविधियों के बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आना पड़ा.   दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण सिर्फ दिल्ली की समस्या नहीं है ये उत्तर भारत की समस्या है. उन्होंने कहा कि ऐसे मौके पर केंद्र सरकार पीछे नहीं रह सकती है. दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने पंजाब सीएम को चिट्ठी लिखकर निराशा जताई और कहा कि वे पराली जलाने से रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. सीएम भगवंत मान ने इसका जवाब दिया. 

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इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने भी अपनी राय दी और कहा कि हर साल पराली पर दिल्ली और आस पास के इलाको में चर्चा होती है, जैसे सीजन आता है वैसे सब बात करते है और जैसे सीजन जाता है सब चुप हो जाते है, इस पर लोग राजनीति करते बल्कि रास्ते निकलते पर कोई विचार नहीं करता है. 

पॉल्यूशन के बीच बयानबाजियों का सिलसिला

दिल्ली की बढ़ती AQI पर पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने बैठे अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण सिर्फ दिल्ली की नहीं उत्तर भारत के शहरों की समस्या है. ये सिर्फ पंजाब और दिल्ली की बात नहीं है. पूरा उत्तर भारत गंभीर प्रदूषण से जूझ रहा है. इसलिए हमें ब्लेम गेम रोकना चाहिए और एक देश के रूप में इसका समाधान खोजना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस स्थिति में केंद्र सरकार पीछे नहीं रह सकती है.  

भारी धुंध के बीच स्कूल के बाहर दिल्ली में इंतजार करते बच्चे (फोटो- पीटीआई)

केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में हमारी सरकार का ये पहला साल है. इस सरकार ने छोटे समय में बढ़िया काम किया. इसका नतीजा अगले साल से दिखने लगेगा.   

27 दिन में 19 फीसदी ज्यादा पराली जली
 
इस बीच दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने पंजाब के सीएम को चिट्ठी लिखी. उन्होंने कहा कि ये दुखद है कि इस बार पंजाब में पिछले बार से ज्यादा पराली जलाई गई हैय पंजाब सरकार को पराली जलाने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पराली को जलने से रोकने के लिए पंजाब सरकार को इस पहल में किसानों की भागीदारी को बढ़ानी चाहिए. एलजी ने कहा कि पंजाब में 2021 के मुकाबले इस बार ज्यादा पराली जलाई गई है.  उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल अक्टूबर 24 से नवंबर 21 तक 19 फीसदी ज्यादा पराली जलाई गई है. 

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एलजी ने पंजाब सीएम को संबोधित करते हुए कहा है कि उन्होंने हरियाणा के सीएम से भी इस मुद्दे पर बात की है. दिल्ली के सीएम को भी सलाह दी है कि वे पराली को जलाने पर पंजाब सरकार से बात करें. 

चिट्ठी लिखकर राजनीति कर रहे हैं LG- मान

दिल्ली एलजी के पत्र का जवाब देने में भगवंत मान ने तनिक भी देर नहीं लगाई. भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा कि 'LG साहिब, आप दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामों को रोक रहे हो. “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” कैंपेन को रोक दिया और मुझे चिट्ठी लिखकर राजनीति कर रहे हो? इतने गंभीर विषय पर राजनीति ठीक नहीं. 

'जब समस्या आती है तभी पराली पर चर्चा होती है'

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने राज्यों को पैसा दिया. करीब 3000 करोड़ की 2 लाख मशीनें राज्यों को दी गईं, पर पॉल्यूशन में कोई कमी नही आई, तो ये चिंता की बात हैं. उत्तर प्रदेश, हरियाणा की सरकार बहुत सही दिशा में काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हर साल पराली पर दिल्ली और आस पास के इलाको में चर्चा होती है, जैसे सीजन आता है वैसे सब बात करते हैं और जैसे सीजन जाता है सब चुप हो जाते हैं, इस पर लोग राजनीति करते हैं, रास्ते निकलाने पर कोई विचार नहीं करता है. 

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कृषि मंत्री ने कहा कि पराली को पंजाब, हरियाणा, वेस्टर्न यूपी में जब भी पराली को जलाया जाता है तो उसका असर दिल्ली पर पड़ता है, उस समय लोग राजनीति करते है और बयान देकर ये कहते हैं कि पंजाब की वजह से नहीं बल्कि किसी और राज्य की वजह से है या किसी और वजह से प्रदूषण हुआ है. उन्होंने कहा कि किसानों के कारण दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है अगर कोई ऐसा बोल रहा है तो मुझे गाली दे रहा है.  

केजरीवाल पराली से सोना बना रहे थे-पात्रा

पराली पर बीजेपी ने भी केजरीवाल को घेरा. बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा कि केजरीवाल ने कहा था कि पराली से सोना बनाता है लेकिन अब क्या आपके पास कोई सॉल्यूशन नहीं है? पॉलिटिशियन को सॉल्यूशन ढूंढ़ना चाहिए लेकिन केजरीवाल सिर्फ तारीख देते हैं. पंजाब सरकार केंद्र के आर्थिक मदद को खर्च नहीं कर रही है. 

बेकार है ब्लेम गेम का ये खेल

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पंजाब के एक ग्रामीण इलाके से सांसद के रूप में मुझे पराली जलाने पर यह ब्लेम गेम का यह सालाना खेल निरर्थक लगता है. यदि उत्तर भारत में एक्यूआई को ठीक रखना है तो धान की पराली के निपटान पर बात करनी होगी. यह एक आर्थिक समस्या है जिसका पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निदान करने की आवश्यकता है. 

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नीतियां तो हैं, लागू नहीं कर पातीं सरकारें...

चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, दावे तो यही किए जा रहे हैं कि प्रदूषण को रोकने के लिए सारे जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. 

पर अगर कदम उठाए जा रहे हैं तो फिर उनका असर दिख क्यों नहीं रहा है? क्यों पिछले साल की तरह इस साल भी कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी रोकनी पड़ी? क्यों स्कूलों को बंद करने की नौबत आ गई? और क्यों ऑड-इवन स्कीम को लागू करने की बात होने लगी?

इसके लिए एक्सपर्ट मानते हैं कि सरकारें नीतियां तो लेकर आतीं हैं, लेकिन उन्हें ठीक तरह से लागू नहीं कर पातीं. 

वर्ल्ड एयर क्वालिटी ने अपनी रिपोर्ट में इस साल भी दिल्ली को सबसे प्रदूषित राजधानी बताया था. ये लगातार चौथा साल रहा जब दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी बनी. सेंटर फॉर रिसर्च एनर्जी एंड क्लीन एयर से जुड़े सुनील दाहिया ने मार्च में न्यूज एजेंसी को बताया था कि इसका मतलब हुआ कि चार साल में सरकार प्रदूषण को कम करने वाली नीतियों को ठीक तरह से लागू नहीं कर पाई है. उनका कहना था कि एक समय लंदन और बीजिंग भी बहुत प्रदूषित हुआ करते थे, लेकिन वहां नीतियों को सही तरीके से लागू किया और अब वहां हवा पहले से काफी साफ है.

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एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट के अनुसार, अगर दिल्ली में नीतियों को सही ढंग से लागू किया जाता है तो 2019 की तुलना में 2030 तक राजधानी में PM2.5 की सघनता को 30% तक कम किया जा सकता है.

 

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