दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, दिल्ली सरकार और डीडीए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
दरअसल, याचिका ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के मरीजों को कैंसर का इलाज मुफ्त नहीं मिलने को लेकर लगाई गई है. याचिका में कहा गया है कि जब नियम और शर्तें एकदम साफ हैं तो क्यों ओपीडी में 25 फीसदी और 10 फीसदी बिस्तर अस्पताल में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के मरीजों को नहीं दिए जा रहे.
जनहित याचिका में कोर्ट से कहा गया है कि पिछले 20 साल के दौरान राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट ने ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के मरीजों को मुफ्त इलाज देने से मना किया है लिहाजा अस्पताल द्वारा कमाई गई उस रकम को अस्पताल से वसूला जाए. राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट को यह जमीन बेहद सस्ते दामों पर डीडीए की तरफ से दी गई थी और जमीन देते वक्त एजेंसी की सिर्फ यही शर्तें थीं कि अस्पताल ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के मरीजों का मुफ्त में इलाज मुहैया कराएगा.
याचिका में कहा गया कि राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट में इस वक्त करीब 300 बिस्तर मरीजों के लिए उपलब्ध है. यानी इसका 10% ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के तहत गरीब मरीजों को देना अस्पताल के लिए अनिवार्य है, लेकिन वह इस शर्त का पालन नहीं कर रहा.
अस्पताल की वेबसाइट बताती है कि अस्पताल में 200 और बिस्तर बढ़ाने की तैयारी है. ऐसे में अगर हाईकोर्ट से आदेश ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के हक में आता है तो राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट को तकरीबन अपने 50 बिस्तर गरीब कैंसर पेशेंट्स को देने होंगे.
कैटेगरी के मरीजों को मुफ्त इलाज देने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले भी अस्पतालों को कई दिशानिर्देश और अपने आदेश दे चुके हैं, इसके बावजूद देखा गया है कि अस्पताल उसका उल्लंघन कर रहे होता है. इस मामले में हाईकोर्ट अगली सुनवाई 28 जनवरी 2019 को करेगा.