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दिल्ली हाईकोर्ट ने 6 साल पुराने उत्पीड़न केस में रद्द की FIR रद्द... युवती की शादी में बाधा बन रहा था केस

छह साल पहले एक नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया था कि स्कूल के ही एक सीनियर छात्र ने उसकी प्राइवेट तस्वीरों के आधार पर उसे डराया, ब्लैकमेल किया और पैसे ऐंठे. शिकायत में यह भी कहा गया कि पैसे देने के बावजूद धमकियां जारी रहीं. मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज की गई थी.

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दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़ित युवती के परिवार की मांग पर फैसला लिया (प्रतीकात्मक तस्वीर)
दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़ित युवती के परिवार की मांग पर फैसला लिया (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नाबालिग स्कूल छात्रा द्वारा अपने सीनियर पर लगाए गए धमकी, शोषण और ब्लैकमेलिंग के आरोपों से जुड़े मामले में FIR रद्द कर दी है. यह फैसला लड़की और उसके परिवार की ओर से मामले को खत्म करने की अपील पर लिया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि आपराधिक मामला अब उसकी शादी की संभावनाओं को प्रभावित कर रहा है.

दरअसल, छह साल पहले एक नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया था कि स्कूल के ही एक सीनियर छात्र ने उसकी प्राइवेट तस्वीरों के आधार पर उसे डराया, ब्लैकमेल किया और पैसे ऐंठे. शिकायत में यह भी कहा गया कि पैसे देने के बावजूद धमकियां जारी रहीं. मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज की गई थी.

कोर्ट की शुरुआती सख्ती

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुरुआत में कहा कि आरोप गंभीर हैं और सोशल मीडिया के युग में टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां इसका इस्तेमाल डर पैदा करने और गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए होता है. कोर्ट इस बात से संतुष्ट नहीं था कि मामला इतनी आसानी से खत्म कर दिया जाए.

हालांकि बाद में कोर्ट के समक्ष लड़की और उसकी मां ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे इस मामले से आगे बढ़ना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि लड़की की शादी की बातचीत चल रही है और इस मामले का जारी रहना उनके लिए सामाजिक बदनामी और भविष्य की संभावनाओं में बाधा बन सकता है.

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कोर्ट ने इस स्थिति को समझते हुए FIR को रद्द करने का फैसला लिया, यह स्पष्ट करते हुए कि यह निर्णय केवल लड़की और उसकी मां की स्पष्ट और स्वतंत्र सहमति तथा उनकी निजता की रक्षा के लिए लिया गया है.

हालांकि, कोर्ट ने आरोपी लड़के के आचरण को लेकर असहमति दर्ज की. कोर्ट ने कहा कि यदि आरोप सही हैं, तो यह बेहद परेशान करने वाला व्यवहार है जिसमें नाबालिग के साथ ब्लैकमेल और धमकी का पैटर्न नजर आता है. कोर्ट ने यह भी दर्ज किया कि आरोपी ने आश्वासन दिया है कि उसके पास कोई भी प्राइवेट फोटो की प्रति नहीं है और वह अदालत के सामने दी गई शर्तों का पालन करेगा.

शर्तों के साथ FIR रद्द, चेतावनी भी

कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि अगर भविष्य में कोई भी फोटो सामने आती है तो पीड़िता FIR को फिर से शुरू करने का अधिकार रखेगी. साथ ही, आरोपी को पीड़िता और उसके परिवार से किसी भी प्रकार का संपर्क न करने का सख्त निर्देश दिया गया है. कोर्ट ने आरोपी को एक महीने तक लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में कम्युनिटी सर्विस करने का आदेश दिया है, ताकि उसे अपने किए पर आत्ममंथन का अवसर मिले. इसके अलावा, उस पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसे 'आर्मी वेलफेयर फंड बैटल कैजुअल्टीज' में जमा करना होगा.

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