पिछले साल 16 दिसंबर की गैंगरेप की घटना के चार दोषियों में से दो ने दिल्ली हाई कोर्ट में दावा किया कि फैसले का हिंदी अनुवाद और पुलिस द्वारा दिए गए मुकदमे के अन्य रिकॉर्ड पढ़े नहीं जा सकते. दोषियों ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए और समय की मांग की है.
सोमवार को जस्टिस रेवा खेत्रपाल और प्रतिभा रानी की पीठ ने दोषियों पवन गुप्ता और मुकेश सिंह को सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है. मामले में चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है.
अभियोजन पक्ष ने नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दोषियों को फैसले के हिंदी अनुवाद की प्रति दी थी. पवन और मुकेश ने हाई कोर्ट के इनकार के बाद इसके लिए शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी. हालांकि दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष सरकारी अभियोजक दयान कृष्णन ने बचाव पक्ष के कदम का विरोध करते हुए सोमवार को कहा, 'हाई कोर्ट के नियम के अनुसार ही मौत की सजा पर सुनवाई दोषियों के हित में दिन-प्रतिदिन के आधार पर होनी चाहिए.' कृष्णन ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हमने (पुलिस ने) प्रत्येक दोषी के लिए बचाव पक्ष के वकील को और तिहाड़ जेल में बंद दोषियों को भी अनुवाद की प्रति सौंपी है.'
'केवल कार्यवाही बाधित करने का प्रयास'
अभियोजक ने कहा कि हाई कोर्ट ने बचाव पक्ष से कहा है कि अगर वे उचित समझते हैं तो आपत्ति दर्ज कराएं. लेकिन पवन और मुकेश के वकील ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई. अब उन्हें एक हफ्ते का समय और चाहिए. कृष्णन ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील केवल कार्यवाही को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं.
गूगल से किया है अनुवाद
पवन और मुकेश की ओर से वकील एमएल शर्मा ने अभियोजन पक्ष के दावे का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस ने दस्तावेजों का उचित अनुवाद नहीं सौंपा है. शर्मा ने कहा, 'गूगल के जरिए अनुवाद किया गया है, इसलिए इसकी सामग्री पढ़े जाने योग्य नहीं है. यह उचित तरीके से नहीं किया गया, इसलिए मैं उचित दिशानिर्देश प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाऊंगा.'
कार्यवाही के दौरान दोषियों अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा की ओर से वकील एपी सिंह ने एक बार फिर और आखिरी बार अपने 'मुवक्किल का इंटरव्यू' करने के लिए वक्त मांगा, ताकि वह उचित तरीके से अपील पर दलील दे सकें. सिंह की दलील पर सहमति जताते हुए पीठ ने उनसे 5 दिसंबर को अक्षय और विनय की ओर से मामले में दलील रखने को कहा.
हाई कोर्ट चारों दोषियों को निचली अदालत के मौत की सजा के फैसले पर मुहर लगाने के लिए अंतिम दलीलों पर सुनवाई कर रहा है.