दिल्ली कैबिनेट ने शुक्रवार को एक बैठक में अहम फैसला किया. केजरीवाल सरकार ने भारत सरकार की ‘फास्ट एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम) फेज-2’ योजना के तहत दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) द्वारा पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वातानुकूलित 300 लो फ्लोर बसों को बेड़े में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार अत्याधुनिक सुविधाओं और गैर-प्रदूषणकारी इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने के लिए कई उपाय कर रही है. गहलोत का दावा है कि इलेक्ट्रिक बसों को पहली बार दिल्ली में डीटीसी के बेडे में शामिल किया जा रहा है. यह किसी भी राज्य सरकार या राज्य परिवहन द्वारा इलेक्ट्रिक बसों की सबसे बड़ी तैनाती है.
बता दें कि डीटीसी द्वारा अक्टूबर 2019 में लो फ्लोर इलेक्ट्रिक एसी बसों के लिए टेंडर निकाला गया, लेकिन टेंडर की प्रक्रिया रद्द कर दी गई. इसके बाद जून 2020 में फिर से टेंडर निकाले गए, फिर से इस प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया, जिसके बाद दिसंबर 2020 में फिर से टेंडर निकाले गए थे, जिसमें सबसे कम बोली लगाने वाले जेबीएम कंपनी रही. जेबीएम की ओर से 68.58 रुपए प्रति किमी की बोली लगाई गई. दूसरी सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी मेसर्स टाटा मोटर्स है, जिसने मेसर्स जेबीएम द्वारा दी गई दर से मिलान करने पर सहमति जताई है. टेंडर की शर्तों के अनुसार जेबीएम 200 बसों का संचालन करेगी, जबकि 100 बसों का संचालन मेसर्स टाटा मोटर्स द्वारा किया जाएगा.
ओपेक्स मॉडल पर डीटीसी के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किए जाना बड़ा कदम माना जा रहा है. अभी तक डीटीसी केवल अपने स्वामित्व वाली बसों का संचालन करता रहा है. बिजली से चलने वाली बसों को पहली बार डीटीसी के बेड़े में शामिल किया जा रहा है. एक साथ डीटीसी द्वारा 300 इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े में शामिल करना किसी भी राज्य सरकार या परिवहन निगम के लिए बड़ी संख्या है.
इस योजना के तहत, एक बार पूरी तरह चार्ज होने के बाद बसें कम से कम 140 किमी तक चल सकेंगी. ऑपरेटर द्वारा ही इन बसों के ड्राइवर दिए जाएंगे, जबकि इन बसों में डीटीसी के कंडक्टर रहेंगे. ऑपरेटर 10 साल तक बसों या बैटरी के रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगा. आपरेटर समय पर बैटरी बदलने के लिए बाध्य होगा, जो समान्य रूप से 5 साल बाद बदली जाती है.
इन बसों के संचालन के लिए बिजली की खपत का खर्च 14 किलोवाट/किमी तक डीटीसी द्वारा उठाया जाएगा. वहीं इससे अधिक बिजली की खपत का खर्चा वार्षिक आधार पर ऑपरेटर से वसूल किया जाएगा. चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत, चार्जिंग उपकरण और ट्रांसफार्मर आदि की का खर्चा ऑपरेटर को देना होगा. डीटीसी निकटतम ग्रिड से डिपो तक एक बिजली कनेक्शन प्रदान करेगा. ऑपरेटर तेज या स्लो चार्जर का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होगा, लेकिन उसे प्रतिदिन कम से कम 200 किमी तक बसों का संचालन करना होगा.
दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के मुताबिक 118 बसों की पहली खेप अक्टूबर 2021 में आएगी, जबकि नवंबर में 100 बसों को जोड़ा जाएगा. दिसंबर में 60 बसें आ जाएंगी, जबकि अन्य 20 बसें जनवरी 2021 तक प्राप्त होने की संभावना है. इन बसों को सुभाष प्लेस डिपो, मायापुरी डिपो, रोहिणी-2 डिपो, राजघाट -2 डिपो और मुंडेला कलां डिपो में खड़ा किया जाएगा.