छत्तीसगढ़ में बीजेपी की तर्ज पर कांग्रेस राम यात्रा निकालने की सोच रही है. यह यात्रा किसी मंदिर के निर्माण के लिए नहीं होगी बल्कि धर्म के राजनीतिकरण के विरोध में होगी. कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी धार्मिक उन्माद फैलाकर वोटों का ध्रुवीकरण करती है. मंदिर-मस्जिद के नाम पर लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काती है. इसलिए इस खेल को बंद करने के लिए अब वो भी मंदिरों का रुख करेगी.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हिन्दू वोटरों को लुभाने के लिए छत्तीसगढ़ के मंदिरों का रुख करेंगे. यह कांग्रेस राम यात्रा का पहला चरण होगा. इसके बाद पार्टी के कार्यकर्ता और तमाम नेता मंदिरों का रुख करेंगे. एआईसीसी ने छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिरों की सूची मांगी है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने एआईसीसी को राज्य के प्रसिद्ध आधा दर्जन मंदिरो की सूची सौपी है. इसमें राजिम का राजीव लोचन मंदिर, बस्तर और दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी मंदिर, डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी मंदिर, बिलासपुर में महामाया, चंद्रपुर में चंद्रहासिनी मंदिर और अंबिकापुर रायगढ़, मार्ग पर स्थित राम झरना शामिल है.
इन मंदिरों में दर्शन कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नवंबर-दिसंबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सियासत का मंदिर फार्मूला अपना सकते हैं. खुद कांग्रेसी नेता इस बात को मानते हैं कि कांग्रेस खुद पर लगी हिन्दू विरोधी छाप हटाने में कसर नहीं छोड़ना चाहती. इसी के कारण वो 2013 के विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनाव में हाशिए पर आ गई थी.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के रणनीतिकारों ने मंदिर दर्शन का जो चार्ट तैयार किया है उसमें हिन्दू मंदिरों के आलावा सतनामी समाज के तीर्थ भी शामिल हैं. नेताओं का मानना है कि इससे कांग्रेस को संजीवनी मिलेगी. वहीं, बीजेपी का चुनावी हथियार उसी पर आजमाने का मौका मिलेगा. एआईसीसी को भेजी गई मंदिरों की लिस्ट में कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेताओं की चुनाव प्रचार रैली और यात्रा इन्हीं मंदिरों के आस-पास से गुजरेगी. राहुल गांधी हों या फिर और कोई नेता, एआईसीसी द्वारा तय किए गए मंदिरों में उन्हें दस्तक देना होगा. इसके लिए उन्हें यह भी निर्देशित किया जाएगा कि उस मौके के मीडिया कवरेज की बेहतर व्यवस्था बनाई जाए.
दूसरी ओर बीजेपी ने कांग्रेस की इस कवायत पर अपनी पैनी निगाह लगाए रखी है. 21 सितंबर को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और 22 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आम सभा क्रमशः बिलासपुर और जांजगीर जिले में रखी गई है. हालांकि, दोनों ही आयोजन सरकारी कार्यक्रमों का हिस्सा है. लेकिन इन इलाकों में छत्तीसगढ़ के दो प्रसिद्ध तीर्थों के अलावा सतनामी समाज के कई पवित्र स्थल है.
सतनामी समाज के महत्वपूर्ण साधु संतों से बीजेपी नेताओं की मेल मुलाकात का समय भी निर्धारित किया जा रहा है. दरअसल, राज्य में कांग्रेस और बीएससपी के बीच गठबंधन अंतिम दौर में है. राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से मात्र दो सीट पर बीएसपी को जीत की उम्मीद है. लेकिन लगभग 10 सीटों पर वो चुनाव प्रभावित करती है. गठबंधन के बाद इन सीटों पर कांग्रेस का प्रभाव बढ़ेगा. इस प्रभाव को निष्क्रिय करने के लिए बीजेपी ने भी अनुसूचित जाति वर्ग में अपनी घुसपैठ बढ़ा दी है.