बिहार में शराबबंदी के कड़े कानून के बावजूद एक सड़क हादसे में बाइक सवार दो युवकों की मौत के मामले में पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है. दरअसल इन युवकों को जिस गाड़ी से टक्कर लगी, उस पर नीली बत्ती तो थी ही, गाड़ी के अंदर से भी शराब की बोतलें बरामद हुई हैं.
पर्दा डालने की कोशिश कर रही पुलिस
शराबबंदी के कड़े कानून के कारण बिहार में करीब 1200 से ज्यादा लोग जेल की हवा खा चुके हैं. पुलिस ने न जाने कितने हजार छापे मारे, लाखों लीटर शराब जब्त की लेकिन एक मामले में यह कानून लाचार नजर आ रहा है. मामला न्यायपालिका से जुड़ा हुआ है, इसलिए पुलिस भी लगातार इस मामले में पर्दा डालने में लगी है.
मिनिर वॉटर की बोतल में मिली शराब
ये मामला एक दुर्घटना से जुड़ा है, जिसमें मोटर साइकिल सवार दो युवकों की मौत हो जाती है लेकिन जिस गाड़ी से ये दुर्घटना होती है उसमें नीली बत्ती लगी थी. यही नहीं दुर्घटना के बाद उस कार का ड्राइवर घायल और सवार फरार हो गए तब पता चला कि गाड़ी की पिछली सीट पर शराब की खाली बोतल मिनिरल वाटर और कुछ खाने की चीजें रखी हुई थी. जाहिर है चलती गाड़ी में शराब पीने का कार्यक्रम चल रहा था, लेकिन दुर्घटना होने की वजह से यह बात भी सामने आ गई. जिस गाडी से दुर्घटना हुई उसका नम्बर बीआर-01 पीबी 5569 है.
कोर्ट के एसजीएम की निकली कार
गाड़ी के नंबर से जब कार मालिक की तलाश की गई तो पता चला ये गाड़ी एसीजीएम-9 संजय कुमार राय की है, जो गया कोर्ट में पदास्थापित है. नीली बत्ती की गाड़ी प्राइवेट गाड़ी से दुर्घटना और दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी में शराब का पाया जाना एक बहुत बड़ी घटना थी और वो भी बिहार में, जहां शराबबंदी का कड़ा कानून लागू है. पुलिस को तो इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन नहीं पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं की है जबकि मामला सोमवार का है. पटना से 40 किलोमीटर नीमा में हुई इस दुर्घटना में जहानाबाद के 2 इंजीनियरिंग के छात्रों की मौत हो गई. दोनों पटना स्थित कालेज से अपने घर जहानाबाद लौट रहे थे.
सोशल मीडिया पर वायरल हुई बोतलों की तस्वीर
इतनी बड़ी घटना को पुलिस रफा दफा करने की कोशिश में लग गई थी. पुलिस इस बात से इनकार कर रही है कि गाड़ी में शराब थी. सोशल मीडिया में जब इसकी तस्वीर वायलर हुई तो पुलिस ने हास्यास्पद बयान देते हुए कहा कि गाड़ी से शराब की बोतले नहीं बल्कि पेट्रोल बरामद हुई है. पुलिस का कहना है कि इसकी जांच की जा रही है. हांलाकि एफआईआर में गाड़ी से शराब की बोतल मिलने का कोई जिक्र नहीं है. अब सवाल उठता है कि क्या गाड़ी के पिछली सीट पर बैठा आदमी शराब की जगह पेट्रोल पी रहा था.
उठ रहे हैं ये सवाल
बिहार में शराबबंदी के खिलाफ पुलिस ने मुहिम छेड़ रखी है. आम आदमी से लेकर ऊंची पहुंच वाले लोगों को शराब के मामले में जेल भेजने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है लेकिन इस मामले में पुलिस टालमटोल करती नजर आ रही है क्योंकि मामला ज्यूडियरी से जुड़ा है. प्राइवेट गाड़ी में बत्ती लगाना भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उलंघ्घन है. हां पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि हादसे के वक्त गाड़ी में एसीजीएम खुद मौजूद थे या नहीं. अगर वो मौजूद नहीं थे तो गाड़ी में नीली बत्ती लगाना गैरकानूनी है.
सवाल ये भी उठाया जा रहा है कि अगर कोई होटल में शराब पी रहा है, तो अगर उस होटल के मालिक पर एफआईआर हो सकती है तो जिसकी गाड़ी में शराब की बोतले मिली उस पर कार्रवाई क्यों नहीं. पटना के आईजी नैय्यर हसनैन का कहना है कि इस मामले की गहराई से छानबीन की जा रही है और कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी.