
Salman khan battling brain aneurysm: बॉलीवुड एक्टर सलमान खान ने 21 जून को टेलीकास्ट हुए 'द ग्रेट इंडियन कपिल शो' में अपनी कई न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के बारे में खुलासा किया. उन्होंने अपनी 3 बीमारियों का जिक्र करते हुए बताया जिसमें से एक थी ब्रेन एन्यूरिज्म (Brain Aneurysm). उन्होंने बताया कि वे इस बीमारी का इलाज करा रहे हैं और साथ में काम भी कर रहे हैं. सलमान के इस खुलासे के बाद हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये बीमारी क्या है और कैसे होती है जिसका उन्होंने जिक्र किया. ब्रेन एन्यूरिज्म के बारे में जानने के लिए हमने बैंगलोर के स्पर्श हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरोसर्जन एंड स्पाइन सर्जन डॉ. अभिलाष बंसल से बात की और इस बीमारी के बारे में डिटेल में जाना. तो आइए जानते हैं ब्रेन एन्यूरिज्म के बारे में सबकुछ.
ब्रेन एन्यूरिज्म क्या है?

डॉ. अभिलाष बंसल ने Aajtak.in से बात करते हुए बताया, 'एन्यूरिज्म धमनी (रक्त वाहिका) की दीवार के कमजोर एरिया में एक उभार है. इसे सेरेब्रल एन्यूरिज्म या इंट्राक्रैनील एन्यूरिज्म के रूप में भी जाना जाता है. यह तने पर लटकी हुई बेरी जैसा दिखता है. ब्रेन एन्यूरिज्म 30 से 60 वर्ष की आयु के लोगों को प्रभावित कर सकता है. अमेरिका में हर साल लगभग 30,000 लोगों में यह होता है और इसके सबसे अधिक मामले जापान में पाए जाते हैं.'
'उदाहरण के लिए समझें तो जब साइकिल के ट्यूब में हवा भरी जाती है तो कभी-कभी ट्यूब में एक उभार जैसा आ जाता है जो दिखाता है कि ट्यूब वहां से कमजोर है. उसी तरह ब्रेन की नसों की दीवार में गुब्बारे जैसा एक उभार आ जाता है, उसे ही एन्यूरिज्म कहते हैं. कई बार यह फट जाता है और कई बार उभार वैसा ही बना रहता है. इन कारणों से दिमाग में ब्लीडिंग हो सकती है जो असहनीय दर्द का कारण बनती हैं.'
'हालांकि एन्यूरिज्म यदि फटते नहीं हैं तो अधिक समस्याएं पैदा नहीं करते लेकिन यदि वे फट जाते हैं तो वो जीवन के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं और यहां तक कि कुछ मामलों में मौत का कारण भी बन सकते हैं. ये इतना खतरनाक होता है कि अगर ये फट जाता है तो 50 पर्सेंट तो लोग हॉस्पिटल तक पहुंचते ही नहीं हैं और जो पहुंचते हैं, उसमें से 40-50 पर्सेंट मरीज घर वापस घर नहीं जाते. इसका कारण है कि ये स्ट्रोक, पैरालिसिस और यहां तक कि डेथ का कारण भी बन सकती है.'
ब्रेन एन्यूरिज्म के कारण क्या हैं?

डॉ. अभिलाष का कहना है, 'ब्रेन एन्यूरिज्म इसलिए बनता है या उसका आकार बढ़ता है क्योंकि ब्लड वेसिल्स से बहता हुआ खून ब्लड वेसिल्स की दीवारों के कमजोर हिस्से पर दबाव डालता है. इससे एक गुब्बारे जैसी संरचना बनने लगती है और लगातार दबाव बनने से इसका आकार बढ़ जाता है और अधिक समय पर दबाव से वो फट भी सकता है.'
'ये स्ट्रेस रिलेटेड बीमारी नहीं है, यह मैकेनिकल चीज है. मान लो किसी को एन्यूरिज्म नहीं है तो उसे कई बार पर्सनल हैबिट्स के कारण से हो सकती हैं. जैसे स्मोकिंग, ड्रिंकिंग, अल्कोहॉल, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज इन केस में एज्म बन सकते हैं. कई मामलों में यह जेनेटिक्स भी हो सकता है जैसे मां को हुआ तो उसके बच्चों को भी हो सकता है. कुछ लोगों को ऑटो डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (ADPKD) होता तो उनमें भी एन्यूरिज्म के मामले देखे जाते हैं.'
'हैवी वर्कआउट जब करते हैं तो उस केस में एन्यूरिज्म फट सकता है क्योंकि हैवी लिफ्टिंग के समय हाई स्ट्रेस एनवायरनमेंट क्रिएट होता है और अचानक से ब्लड प्रेशर बढ़ने से एन्यूरिज्म फट सकते हैं. इसके अलावा मार्फन सिंड्रोम, फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया, धमनी-शिरा की गलत बनावट जैसी स्थितियां भी ब्रेन एन्यूरिज्म का कारण का कारण बनती हैं.'
ब्रेन एन्यूरिज्म कितने प्रकार का होता है?

ब्रेन एन्यूरिज्म विदेशों में काफी कॉमन है लेकिन यदि इसके प्रकारों की बात करें तो यह 3 प्रकार का होता है. लेकिन इनमें से सैक्युलर एन्यूरिज्म सबसे कॉमन है.
सैक्युलर एन्यूरिज्म: इसे बेरी एन्यूरिज्म नाम से भी जाना जाता है. दिखने में यह बेल पर लटकी हुई बेरी जैसा दिखता है क्योंकि यह गोल खून से भरी छोटी सी थैली होती है. यह ब्रेन की धमनियों पर बनती है और यह सबसे कॉमन प्रकार है.
फ्यूसीफॉर्म एन्यूरिज्म: एन्यूरिज्म के कारण ये धमनी के चारों ओर खून की थैली बना देता है और हर 1 से अधिक जगह पर धमनी में उभार दिखाई देता है.
माइकोटिक एन्यूरिज्म: जब कोई इंफेक्शन मस्तिष्क की धमनियों को प्रभावित करता है तो यह धमनी की दीवार को कमजोर कर सकता है और माइकोटिक एन्यूरिज्म बन जाता है.
ब्रेन एन्यूरिज्म के लक्षण

अधिकांशन ब्रेन एनरिज्म के मामले शुरुआत में गंभीर लक्षण नहीं दिखाते लेकिन जब वे बड़े हो जाते हैं तो धमनी में उभार आस-पास की नसों या मस्तिष्क के ऊतकों पर दबाव डाल सकते हैं जिससे निम्न लक्षण नजर आते हैं.
कुछ मामलों में ब्रेन एनरिज्म से ब्लीडिंग लीक हो सकती है, उस स्थिति में अचानक, अत्यंत गंभीर सिरदर्द के लक्षण दिखाई दे सकते हैं जो कई दिनों से लेकर दो सप्ताह तक रह सकता है.
ब्रेन एन्यूरिज्म का ट्रीटमेंट कैसे होता है?

डॉ. अभिलाष ने बताया, 'इसमें 2-3 एस्पेक्ट हैं. एक तो ये कि एनरिज्म बन गया है लेकिन फटा ही नहीं है. अब जब वो फटा ही नहीं है तो उसमें ब्लड उस बैलून के अंदर नहीं जाएगा. ऐसे में हम एंजियोग्राम की तरह अंदर से एनरिज्म की पैकिंग कर देते हैं. इसमें हम अंदर जाकर मेटालिक कॉयल डालते हैं जिसे एंडोवास्कुलर कॉइलिंग कहते हैं. नहीं तो ओपन सर्जरी करके हम उसमें क्लिप डाल देते हैं. उसे प्रोसीजर को क्लिपिंग कहते हैं. बस कॉयलिंग या क्लिपिंग के बाद एनरिज्म उस जगह वापिस नहीं आता.'
'लेकिन जो एनरिज्म फट जाते हैं और ब्लीडिंग हो जाती है तो वो खून की नली बाद में सिकुड़ जाती है क्योंकि उससे ब्लड बाहर निकल जाता है तो उस स्थिति को वासोस्पाज्म कहते हैं. इसके कारण रक्त प्रवाह कम हो जाता है लेकिन हमें उससे बचने के लिए हाई ब्लड प्रेशर रखना पड़ता है. इस मामले में ICU और वेंटिलेटर की भी जरूरत पड़ती है क्योंकि वो थोड़ा मुश्किल केस हो जाता है. जब खून की नली सिकुड़ जाती है तो उनको एक्स्ट्रा स्ट्रोक आ सकते हैं, कई बार उनकी मौत भी हो सकती है. ये ट्रीटमेंट काफी लंबा चलता है और इसके बाद उन्हें रिहैबिलिटेशन की भी जरूरत पड़ती है.'
ब्रेन एन्यूरिज्म से कितना जोखिम?
मायोक्लीनिक के मुताबिक, ब्रेन एन्यूरिज्म कॉमन है लेकिन ज्यादातर ब्रेन एन्यूरिज्म गंभीर नहीं होते, खासकर अगर वे छोटे हों तो. अधिकतर ब्रेन एन्यूरिज्म फटते नहीं हैं और आम तौर पर लक्षण या स्वास्थ्य समस्याएं पैदा नहीं करते. कई लोगों में ब्रेन एन्यूरिज्म अन्य स्थितियों के लिए किए गए टेस्ट के दौरान ही सामने आते हैं लेकिन यदि ये फट जाते हैं तो जान का जोखिम हो सकता है और इसके लिए तुरंत इलाज की जरूरत होती है. अगर बिना फटा हुआ एन्यूरिज्म मस्तिष्क के ऊतकों या नसों पर दबाव डालता है, तो इससे दर्द और अन्य लक्षण हो सकते हैं.
यदि आपको अचानक, बहुत तेज सिरदर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और उनके द्वारा बताए हुए टेस्ट भी कराने चाहिए.