किडनी हमारे शरीर का सबसे जरूरी अंग है,क्योंकि ये खून को साफ करता है.इसके साथ ही ये नमक और पानी का संतुलन भी बनाने में हमारी मदद करती है, क्योंकि शरीर में कितनी नमक और पानी होना चाहिए, ये सब किडनी का काम होता है. किडनी का सही से काम करना बहुत जरूरी है, किडनी से जुड़ी बीमारियां काफी खतरनाक साबित हो सकती है. क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) एक ऐसी स्थिति है जिसमें किडनी धीरे-धीरे अपना काम खो देती है. ये बीमारी अचानक नहीं होती है, बल्कि धीरे-धीरे बढ़ती रहती है.
क्रॉनिक किडनी डिजीज में किडनी की फिल्टरिंग शक्ति घटना, क्रिएटिनिन बढ़ना, या इलेक्ट्रोलाइट्स का बदलना शामिल है, इसकी एक वजह फॉस्फोरस का धीरे-धीरे शरीर में जमना भी है. क्रॉनिक किडनी डिजीज के मरीजों के लिए ये मिनरल किसी छुपे हुए खतरे की तरह है. फॉस्फोरस क्रॉनिक किडनी डिजीज के मरीज के शरीर में जमा होकर हड्डियों और रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) को नुकसान पहुंचा सकता है.
अगर सही डाइट, दवा और इसका जल्दी पता लगाना और उसका प्रबंधन बहुत अहम है. फॉस्फोरस को कंट्रोल करने से हड्डियों की मजबूती, ब्लड वेसल्स का लचीलापन और किडनी के काम करने की ताकत बनाए रखने में मदद मिलती है. इसे अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि ये परेशानी तब भी बनती रहती है जब तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं.
फॉस्फोरस एक जरूरी खनिज भी है जो शरीर को फायदे भी देता है. ज्यादातर मांस, दूध, नट्स, बीज, दालें, और पैकेज्ड फूड्स से फॉस्फोरस मिलता है.
नॉर्मल किडनी इसे आसानी से पेशाब के साथ बाहर निकाल देती है, लेकिन क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) में ये बाहर नहीं निकल पाता और खून में बढ़ने लगता है. जब फॉस्फोरस खून में ज्यादा हो जाता है तो ये कैल्शियम, हार्मोन के साथ खेलता है और लंबे समय में कई नुकसान पहुंचाता है.