Cancer risk from crispy roti: गरम-गरम और करारी रोटी खाना हर किसी को पसंद होता है. अधिकतर लोगों को करारी रोटी खाने की आदत होती है. इसके लिए उनके घर में रोटियों को सीधे तवे पर चिमटे से सेक दिया जाता है जिससे रोटी करारी हो जाती है. इसके बाद आपने देखा होगा उस करारी रोटी पर काले-काले निशान बन जाते हैं जो रोटी के जलने के होते हैं. लेकिन करारी रोटी पर ये निशान ही खतरा पैदा करते हैं जिससे कैंसर का रिस्क भी बढ़ सकता है. डेली लाइफ में खाई जाने वाली रोटी की ये छोटी सी गलती शरीर के लिए सबसे बड़ा नुकसान पैदा कर देती है. इस बारे में कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. तरंग कृष्णा ने पॉडकास्ट के दौरान बताया.
जली हुई होती है, उसमें ब्लैक-ब्लैक हो जाता है उससे भी कैंसर होता है. दरअसल जो भी जली हुई चीज होगी जैसे जली हुई रोटी, जला हुआ चिकन या जला हुआ मीट,जब भी खाना काला पड़ जाता है, उसमें एक्रिलामाइड नाम का केमिकल बनता है. यह वही काला हिस्सा होता है जो रोटी या खाने पर जलने के बाद दिखाई देता है. एक्रिलामाइड कार्सिनोजेनिक है यानी यह कैंसर पैदा करने वाले तत्वों में गिना जाता है.'
'अगर आप यूपी तरफ जाएंगे तो वहां के घरों में अक्सर रोटी को गैस पर सीधे रखकर सेका जाता है. कई लोग कहते हैं कि थोड़ा करारा करके लाओ और इसी चक्कर में रोटी को जला देते हैं. उसी तरह अगर महाराष्ट्र की बात की जाए तो वहां पर रोटी को तवे को गर्म करके उस पर सेकते हैं.'
'आपको रोटी को जलाना नहीं है. जो भी जला हुआ कार्बन होता है, वही एक्रिलामाइड होता है और वह शरीर के लिए खतरनाक है. रोटी, चिकन और मीट को पकाइए लेकिन जलाइए मत. सुनहरा या हल्का भूरा होना ठीक है लेकिन काले निशान पड़ना खतरनाक है.'
डीएनए बदलाव है जिम्मेदार
एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में 2015 में पब्लिश हुई स्टडी का कहना है कि प्राकृतिक गैस के चूल्हे और कुकटॉप कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सूक्ष्म कणों जैसे काफी सारे वायु प्रदूषक पैदा करते हैं कि WHO द्वारा इन्हें असुरक्षित माना गया है और ये श्वसन संबंधी बीमारियों, हृदय संबंधी समस्याओं और कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हैं.
न्यूट्रिशन एंड कैंसर जर्नल में पब्लिश एक अन्य स्टडी में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि अधिक तापमान पर रोटी पकाने से कार्सिनोजेन्स पैदा हो सकते हैं.
दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. श्याम अग्रवाल का कहना है ने अधिक तापमान पर खाना पकाने और कैंसर के बीच संबंध के बारे में बताते हुए एक इंटरव्यू में कहा था, 'हम सीधे आग पर खाना पकाने को कैंसर से नहीं जोड़ सकते. हेट्रोसाइक्लिक एमाइन (HCA) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) जैसे कार्सिनोजेन्स मानव शरीर के डीएनए को बदलने के लिए जिम्मेदार हैं.'
'ये कार्सिनोजेन्स (हानिकारक रसायन) हमारे शरीर के DNA को बदलने की क्षमता रखते हैं. DNA में बदलाव ही कैंसर का कारण बनता है. हमारा शरीर खुद को ठीक करने और ऐसे खराब हुए DNA वाली कोशिकाओं को हटाने का एक प्राकृतिक तंत्र (Natural Mechanism) रखता है इसलिए, थोड़ा-बहुत ऐसा खाना खाने से ही कैंसर नहीं हो जाता.'
'कैंसर तब होता है जब ये DNA परिवर्तन बहुत ज़्यादा हो जाते हैं. कैंसर का खतरा तब बढ़ता है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक और नियमित रूप से बहुत ज़्यादा उच्च तापमान पर पके हुए (जैसे, जले हुए या बहुत ज़्यादा भुने हुए) खाद्य पदार्थों का सेवन करता है.'
अधिक तापमान से खतरा
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. दीपांजन पांडा ने कहा, 'हेट्रोसाइक्लिक एमाइन (एचसीए), पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) और एक्रिलामाइड जैसे कार्सिनोजेन्स आमतौर पर स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों और मांस में मौजूद होते हैं. इन कैमिकल का कैंसर से संबंध है या नहीं, इस बारे में कोई पुख्ता आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन, उपलब्ध आंकड़ों को देखते हुए, हमें सीधे चारकोल पर खाना पकाने से बचना चाहिए'
'हमने एक स्टडी की थी जो 2010 में पब्लिश हुई थी जिसमें पता चला था कि 'खुले चूल्हे और पित्ताशय के कैंसर' पर खाना पकाने के बीच किसी प्रकार का संबंध है. इसलिए यह स्टडी अध्ययन इस तथ्य का संकेत है कि स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों और मांस को उच्च तापमान पर पकाने से ऐसे रसायनों के निकलने का खतरा होता है जो कैंसर का कारण बनते हैं.'
कैसे सेकें रोटी
रोटी समान रूप से नहीं पकती है, कुछ हिस्से जल सकते हैं और काले पड़ सकते हैं. रोटी को आजकल सीधे आंच पर पकाया जाता है, यह गैस स्टोव पर चिपके सभी कणों को आकर्षित कर सकता है. हानिकारक गैसें रोटी में प्रवेश कर सकती हैं और इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बना सकती हैं. इसलिए अपने पुराने अच्छे तवे पर स्विच करें और चपाती बनाने में अपना अच्छा समय लें और सीधी आंच की जगह कपड़े से तवे पर रोटी सेकें.