आर्मी हॉस्पिटल जम्मू के काबिल डॉक्टरों की टीम ने अपने अनोखे इलाज से जम्मू-कश्मीर के गरीब परिवार के आठ साल के बच्चे की जान बचाई है. इस बच्चे की महाधमनी में सिकुड़न के कारण उसकी जिंदगी खतरे में आ गई थी. आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) में कर्नल हरमिंदर सिंह अरोड़ा, वीएसएम के नेतृत्व में बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी विशेषज्ञों की टीम ने जोखिम भरे ट्रांसकैथेटर प्रोसेस से उसका सफल इलाज किया है.
बता दें कि इस 8 साल के बच्चे की महाधमनी (जिसे इंग्लिश में Aorta कहते हैं, ये शरीर के सभी अंगों को 'शुद्ध' रक्त आपूर्ति करने वाली नस होती है) जो गंभीर रूप से सिकुड़ी हुई थी. टीम ने ट्रांसकैथेटर विधि से उसका इलाज किया. ये एक नॉन-सर्जिकल एरोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट करने की प्रक्रिया है. भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं (एएफएमएस) ने इस सफल इलाज के साथ ही एक और गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इसमें बिना सर्जरी के एरोटिक वॉल्व को लगाया जाता है. आर्मी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने जम्मू-कश्मीर के बारामुला निवासी आठ साल के बच्चे पर सफलतापूर्वक करके उसकी जान बचा ली है.
हृदय ने काम करना कम कर दिया था
Aorta में सिकुड़न की वजह से बच्चे के शरीर के कुछ महत्वपूर्ण अंगों में ब्लड नहीं पहुंच पा रहा था और हृदय ने काम करना कम कर दिया था. बच्चे को जम्मू-कश्मीर में चल रहे ऑपरेशन सद्भावना के तहत इलाज के लिए भारतीय सेना के डैगर डिवीजन, जम्मू-कश्मीर द्वारा इस केंद्र में लाया गया था.
कमर से यूं फिट किया बड़ा स्टेंट, ऑपरेशन का निशान तक नहीं
आर्मी हॉस्पिटल की टीम बिना सर्जरी वाली कठिन प्रक्रिया में बच्चे की कमर के एक छोटे से 'छेद' के माध्यम से सिकुड़ी हुई नस को खुला रखने के लिए एक बड़ा स्टेंट इंप्लांट किया है. इस प्रोसिजर में ऑपरेशन टेबल पर ही जान जाने का भी खतरा था लेकिन आर्मी मेडिकल टीम ने इस कारनामे को कर दिखाया है. यह प्रक्रिया बिना किसी परेशानी के पूरी हुई और बच्चे को अब तीन दिन बाद डिसचार्ज कर घर भेज दिया है, इसमें खास बात यह भी है कि बच्चे के शरीर पर इस ऑपरेशन का कोई निशान तक नहीं रहा.
यह उपलब्धि लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह, एवीएसएम, वीएसएम, पीएचएस, डीजीएएफएमएस के कुशल मार्गदर्शन में संभव हुई है, जो एएफएमएस के सीनियर सेवारत बाल रोग विशेषज्ञ भी हैं. लेफ्टिनेंट जनरल अरिंदम चटर्जी, एवीएसएम, वीएसएम, डीजीएमएस (सेना), लेफ्टिनेंट जनरल अजित नीलाकंठन, पीवीएसएम, कमांडेंट, आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) और कर्नल संदीप ढींगरा, विभागाध्यक्ष (बाल रोग), आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) के भी सहयोग की सराहना की जानी चाहिए.
आर्थिक तंगी की वजह से ईलाज नहीं करा सकता था परिवार
यह आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल), नई दिल्ली, चिनार कोर/डैगर डिवीजन, जम्मू-कश्मीर और पुणे के इंद्राणी बालन फाउंडेशन का कोलेबरेशन एफर्ट था. बच्चा, डैगर परिवार स्कूल का स्टूडेंट है जिसका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है और इलाज कराने में असमर्थ था. आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) में किए गए इस ईलाज के साथ, वह भविष्य में बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकेगा. देश में ऐसी जटिल प्रक्रिया करने की विशेषज्ञता केवल कुछ ही सेंटर्स में उपलब्ध है, जिनमें आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) भी शामिल है.